वैश्विक सन्दर्भ में हम ग़रीबी को मात दे रहे हैं जबकि अफ़्रीकी देशों में ग़रीबों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हुआ है, या यह सिर्फ़ आंकड़ों की बाजीगरी है।