रामलीला की जो कम से कम पांच सौ साल से अधिक की जो परंपरा है वो भी यही दिखाती है कि हिंदी नाटकों का इतिहास भी इतना ही पुराना है।
चुनाव में सब जगह डिट्टो की डिट्टो वही की वही रामलीला खेली जा रही थी! इनके राम, विपक्ष के रावण थे, उनकी सीता, इनकी शूर्पणखा थी! जो तीर चला रह थे...
दूरदर्शन पर 'अयोध्या की रामलीला' का लाइव प्रसारण चल रहा है। करोड़ों ख़र्च से 27 घंटों का यह प्रसारण दूरदर्शन की अब तक की सबसे कमज़ोर और उबाऊ प्रस्तुतियों के रूप में दर्ज़ होगा। ‘अयोध्या की रामलीला’ की ऐसी दशा क्यों?
कोरोना से उपजे एहतियात के चलते दिल्ली, अयोध्या के अपवाद को छोड़कर समूचा देश इस बार रामलीलाओं का आनंद उठाने से चूक जाएगा। आज भी इनकी अंतरात्मा लोकपक्षीय बनी रहने के बावजूद संकुचित विचारों का भारी-भरकम रंग कैसे चढ़ गया है?