मोदी सरकार ने किसानों से विश्वासघात क्यों किया? क्या इसके लिए किसान खुद भी ज़िम्मेदार हैं? उत्तरप्रदेश में बीजेपी को हराने का मिशन यूपी किस तरह चलेगा और क्या वह बीजेपी का कुछ बिगाड़ पाएगा? किसान नेताओं के चुनाव लड़ने पर राकेश टिकैत क्या सोचते हैं? डॉ. मुकेश कुमार के ऐसे ही तीखे सवाल और किसान नेता राकेश टिकैत के जवाब
ठीक चुनाव के बीच बेरोज़गार छात्रों के ख़िलाफ़ इतनी निर्मम क्यों हुई योगी सरकार? क्या योगी सरकार को आंदोलनों से निपटने का एक ही तरीक़ा आता है-ठोंक दो? क्या ये ठोंको मानसिकता बीजेपी को चुनाव में भारी पड़ेगी? क्या रेलमंत्री के बयान से डैमेज कंट्रोल हो पाएगा? क्या छात्रों का गुस्सा इससे शांत हो जाएगा? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-एन. के. सिंह, विनोद अग्निहोत्री, क़ुरबान अली, पंकज श्रीवास्तव और सिद्धार्थ कलहंस
योगी के ख़िलाफ़ क्यों ताल ठोंककर रहे हैं चंद्रशेखर आज़ाद? क्या वे हीरो बनने के लिए ऐसा कर रहे हैं? क्या उनकी चुनौती में कोई दम है? क्या दूसरे विपक्षी दल उन्हें अपना समर्थन देंगे? कहीं उनके चुनाव लड़ने से योगी को फ़ायदा तो नहीं हो जाएगा? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं- उर्मिलेश, शीतल पी. सिंह, अनिल यादव, डॉ. रविकांत और संजय शर्मा
मुख्यमंत्री पद पर किसकी दावेदारी सबसे मज़बूत है? किसमें है मतदाताओं को आकर्षित करने का सबसे अधिक करिश्मा? क्या भगवंत मान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को चुनौती दे पाएंगे? क्या हैं दोनों की खूबियाँ और ख़ामियाँ? क्या सुखबीर सिंह बादल छुपे रुस्तम साबित होंगे? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-अविनाश सिंह, हरजेश्वर, अजय शुक्ला, राजीव भास्कर और प्रिया सहगल-
स्वामी प्रसाद मौर्या का जाना बीजेपी के लिए एक बड़ा नुकसान है। क़रीब चालीस सीटों पर इसका असर पड़ेगा। पिछड़े वर्ग के नेताओं का जाना बताता है कि बीजेपी का कुनबा बिखर रहा है। इससे अखिलेश यादव की स्थिति ज़ाहिर है कि पहले से ज़्यादा मज़बूत हुई है। सामाजिक राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ अभय कुमार दुबे से डॉ. मुकेश कुमार की बातचीत-
योगी आदित्यनाथ और अखिलेश के बीच मुक़ाबला कैसा रहेगा? क्या हैं दोनों की वे ख़ूबियाँ और कमज़ोरियाँ जो यूपी के चुनाव में अहम भूमिका निभा सकती हैं? दोनों में से किसने ख़ुद को बेहतर मुख्यमंत्री साबित किया है? जनता में कौन है अधिक विश्वसनीय और लोकप्रिय? डॉ. मुकेश कुमार के साथ आज चर्चा में शामिल हैं-विनोद अग्निहोत्री, राजेश महापात्रा, क़ुरबान अली, यशवंत देशमुख, डॉ. रविकांत और सिद्धार्थ कलहंस-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमले का पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कैसे जवाब दिया? इस जंग में वे नायक बनकर उभरे या खलनायक? पंजाब की सियासत में उनकी स्थिति अब कैसी है? इस अनचाही जंग का काँग्रेस की अंदरूनी लड़ाई में उन्हें फ़ायदा होगा या नुक़सान? क्या सिद्धू की ओर से मिल रही चुनौती से निपटने में वे अब ज़्यादा सक्षम होंगे? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- अनिल त्यागी, विनोद अग्निहोत्री, शीतल पी. सिंह, प्रिया सहगल, राजीव भास्कर
मोदी की सुरक्षा में चूक को लेकर इतना हंगामा क्यों मचाया जा रहा है? क्या ये एक ऐसा मामला है जिसके लिए एक राज्य के ख़िलाफ़ जंग छेड़ दी जाए? बीजेपी नेता राहुल गाँधी को षड़यंत्रकारी क्यों बता रहे हैं? इस मामले का राजनीतिकरण करके मोदी और बीजेपी क्या हासिल करना चाहते हैं? उनकी इस राजनीति के क्या नतीजे निकल सकते हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ़िरोज़पुर की रैली से वापस लौटने का पूरा सच क्या है? क्या सचमुच में उनकी जान को ख़तरा था या रैली में भीड़ न जुटने के लिए उन्होंने सुरक्षा में चूक का बहाना बना दिया? क्या वे बात का बतंगड़ बना रहे हैं ताकि काँग्रेस को बदनाम किया जा सके? क्या किसी प्रधानमंत्री का इस तरह का बयान देना ठीक है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-अनिल त्यागी, अविनाश सिंह, राजीव भास्कर, हरजेश्वर और चंद्रासुता डोगरा-
क्या राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मोदी के बारे में सच कहा है? वे मोदी पर लगातार हमले क्यों कर रहे हैं? क्या मोदी इस हमले को बर्दाश्त कर लेंगे या मलिक की छुट्टी कर देंगे? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- राजेश बादल, विनोद अग्निहोत्री, अनिल त्यागी, ओंकारेश्वर पांडे और पुष्पेन्द्र सिंह-
क्या 2022 में हिंदुत्व की राजनीति और मज़बूत होगी? क्या मोदी-शाह के पास धर्म और राष्ट्रवाद के अलावा कोई और तीर तरकश में बचा है? विपक्षी पार्टियाँ इस आक्रामक हिंदुत्व से कैसे निपटेंगी? क्या यूपी के चुनाव के बाद तय होगी राष्ट्रीय राजनीति की दिशा और दशा? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-क़ुरबान अली, राजेश जोशी, मनीषा प्रियम, डॉ. रविकांत और शीतल पी. सिंह-
धर्म संसद में गाँधी को गालियाँ देने वाले लोग कौन हैं वे गाँधी के प्रति इतनी हिंसा और नफ़रत से क्यों भरे हुए हैं गाँधी को अनाप-शनाप बोलकर वे क्या हासिल करना चाहते हैं ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ केंद्र सरकार और संघ परिवार नरम क्यों है क्या वे उन्हें संरक्षण प्रदान कर रहे हैं डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-डॉ. राम पुनियानी, डॉ. वेद प्रताप वैदिक, प्रो. अपूर्वानंद और डॉ. राकेश पाठक
हरिद्वार मे आयोजित धर्म संसद में आग उगलने वालों के ख़िलाफ़ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या सरकार इन अपराधियों को संरक्षण दे रही है? क्या उसकी शह पर हो रहा है मुसलमानों के सफाए का आव्हान? मोदी, शाह और उनकी पार्टी हिंसा के लिए उकसाने वालों के मामले में चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? क्या धर्म संसद का आयोजन हिंसा की तैयारी के लिए था, ताकि यूपी के चुनाव में ध्रुवीकरण करवाया जा सके?
क्या मोदी सरकार कोरोना की तीसरी लहर के बारे में विशेषज्ञों की चेतावनी सुन रही है? क्या बच्चों को टीके देने की कोई योजना उसने बनाई है? क्या बूस्टर डोज़ देने की उसने कोई तैयारी की है? क्या वह चुनाव रैलियों पर रोक लगाएगी? कहीं ऐसा तो नहीं है कि सरकार कोरोना की तीसरी लहर में भी वैसी ही लापरवाही दिखाएगी जो दूसरी लहर के दौरान दिखाई थी? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-एन.के. सिंह, शैलेश, राजेश महापात्रा और नीरेंद्र नागर-
किसान पंजाब चुनाव में क्या सोचकर उतर रहे हैं? गुरनाम सिंह चढ़ूनी इस चुनावी दाँव से क्या हासिल करेंगे? किसानों की पार्टी क्या दूसरे दलों के समीकरण बदल सकती है? उसके चुनाव लड़ने से किसको फ़ायदा और नुक़सान हो सकता है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-अनिल त्यागी, शरत् प्रधान, हरजेश्वर सिंह और पुष्पेंद्र सिंह-
आयकर विभाग के छापों के ज़रिए मोदी क्या अखिलेश और उनके समर्थकों को डराना चाहते हैं? क्या इसका उद्देश्य सपा की चुनावी फंडिंग को बंद कराना है? क्या आईटी के बाद अब ईडी और सीबीआई भी बीजेपी के लिए चुनावी मोर्चा सँभालेंगी? हर चुनाव के पहले या उसके दौरान विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ केंद्रीय एजंसियों की कार्रवाई का पैटर्न क्या कहता है?
काशी के भव्य और विराट आयोजन के बाद सवाल उठ रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को कहाँ ले जा रहे हैं? राजनीति में धर्म के ऐसे इस्तेमाल का अगला चरण क्या हो सकता है? धर्म और राजनीति का ये काकटेल भारतीय राजनीति को कैसे बदल सकता है? लोकतंत्र पर इसका कैसा प्रभाव पड़ सकता है?
मुसलमानों और ईसाईयों पर बढ़ते हमले क्या कहते हैं? क्या बीजेपी शासित राज्यों में हिंदू चरमपंथियों को सरकार का संरक्षण मिल रहा है? बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व खामोश क्यों है क्या इस सबके लिए उसकी मौन सहमति है? क्या ये हिंसा उस हिंदू राष्ट्र की झलकियाँ हैं, जिसे बनाने का प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है? अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा देश को क्या गृहयुद्ध की ओर ले जाएगी?
पंद्रह महीनों के आंदोलन ने क्या सरकार को झुकने के लिए मजबूर कर दिया? मोदी सरकार को उनकी अधिकाश माँगे क्यों माननी पड़ी हैं मगर क्या इसे किसानों की पूरी जीत माना जा सकता है? किसान क्यों कह रहे हैं कि दिल्ली की सीमाओं से हटने के ऐलान के बावजूद आंदोलन जारी रहेगा? पाँच राज्यों के चुनाव पर सरकार की इस हार का क्या असर पड़ेगा?
सरकार की नई पेशकश कया किसानों ने मंज़ूर कर ली है अगर नहीं तो गतिरोध किन मुद्दों पर बना हुआ है? क्या एमएसपी पर कमेटी के गठन को लेकर पेंच फँसा हुआ है? किस सूरत में किसान अपना आंदोलन ख़त्म कर सकते हैं? क्या सरकार उनकी सभी माँगों को तुरंत मानने के लिए तैयार हो सकती है?
संजय राउत ने राहुल के पक्ष में बयान देकर क्या ममता का खेला ख़त्म कर दिया है? अब ममता और प्रशांत किशोर नया मोर्चा बनाने की मुहिम कैसे चलाएंगे? क्या शिवसेना के खुलकर साथ आने से काँग्रेस का हौंसला बढ़ेगा और राहुल गाँधी विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए आगे आएँगे? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-अशोक वानखेड़े, अनुराग चतुर्वेदी, समर खड़स और ओंकारेश्वर पांडे-
हिंदी टीवी पत्रकारिता के आदिपुरुष और जाने माने ऐंकर विनोद दुआ को मुकेश कुमार के साथ याद कर रहे हैं-राजेश बादल, विजय त्रिवेदी, प्रभात डबराल, जितेंद्र रामप्रकाश, शीतल पी. सिंह, इंदर मोहन, राफ़े सुल्तान-
मोदी से लेकर ममता बैनर्जी तक सबको गौतम अदानी क्यों चाहिए? राहुल गाँधी अदानी-अंबानी को अगर कोसते हैं तो फिर काँग्रेस शासित राज्य उनकी सेवा में क्यों लगे रहते हैं? क्या बिना अदानी-अंबानी के आशीर्वाद के राजनीति मुमकिन नहीं? आशीर्वाद के एवज़ में अदानी-अंबानी पार्टियों और सरकारों से क्या वसूलते हैं? पूँजीपतियों और नेताओं का ये गँठजोड़ कैसे काम कर रहा है?
कृषि कानूनों की वापसी के प्रस्ताव को सरकार ने बिना बहस के संसद से क्यों पारित करवाया? क्या सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं देना चाहती थी? क्या उसे लग रहा था कि अगर बहस हुई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छीछालेदर होगी? क्या सरकार का ये रवैया संसद और लोकतंत्र का अपमान नहीं है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- एन. के. सिंह, राजेश बादल, विजय त्रिवेदी और पुष्पेंद्र सिंह-
उत्तरप्रदेश में दलित स्त्रियों के साथ दुष्कर्म और नृशंस हत्याओं का सिलसिला योगी राज के बारे में क्या कहता है क्या योगी सरकार में दलितों को पहले के मुक़ाबले ज़्यादा सुरक्षा मिली क्या उन्हें सरकार से न्याय मिल सका क्या दलित पाँच साल के अनुभव के बाद बीजेपी को वोट देंगे डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-विनोद अग्निहोत्री, वीरेंद्र भट्ट, रविकांत, शीबा असलम फ़हमी और अंबरीश सक्सेना
प्रधानमंत्री मोदी ने तीन काले कानून तो वापस ले लिए मगर न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने पर खामोश क्यों हैं? क्या उन्हें डर है कि ऐसा करने से सरकार पर बहुत बड़ा बोझ पड़ेगा? क्या ऐसा करने से कृषि उत्पादों के दाम एकदम से बढ़ जाएंगे, जिससे महँगाई भी बढ़ेगी? क्या है एमएसपी के बारे में चल रहे प्रचार का सच?