आख़िर बीजेपी के नेताओं में सावरकर के प्रति अचानक इतना प्रेम कैसे उमड़ आया है। यह उनकी सावरकर के प्रति सच्ची श्रद्धा है या इसमें भी कहीं कोई राजनीतिक चाल छुपी हुई है?