एक पखवाड़ा पहले तक जहाँ दिल्ली की राजनीति गठबंधन की अनिश्चितता में फँसी हुई थी, अब 12 मई को मतदान से पहले सब अकेले-अकेले अपना सबकुछ दाँव पर लगाए हुए हैं।