loader

स्टालिन की मांग- हर वर्ग के जज न्यायपालिका में हों

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने जजों और सुप्रीम कोर्ट को लेकर ऐसा मुद्दा उठा दिया है, जिसके नतीजे दूरगामी हो सकते हैं। स्टालिन ने रविवार को कहा कि जजों की नियुक्ति में सभी वर्गों के लोगों की नियुक्ति होना चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने चेन्नै में सुप्रीम कोर्ट की बेंच की भी मांग की। स्टालिन सामाजिक न्याय की बात समय-समय पर उठाते रहे हैं। केंद्र-राज्य संबंधों के संदर्भ में उन्होंने तमाम बातों को पहले भी रखा है। सामाजिक न्याय को लेकर उनके कदम अक्सर चर्चा में रहे हैं।
यह बात स्टालिन ने एक संयुक्त न्यायालय भवन का शिलान्यास करते हुए कही। स्टालिन ने कहा कि तमिल को मद्रास हाईकोर्ट की भाषा बनाया जाना चाहिए।

ताजा ख़बरें
स्टालिन ने रविवार को एक ऐसा मुद्दा छेड़ा है, जिसे लेकर न्यायपालिका पर पहले भी आरोप लगे हैं। कई मौकों पर तमाम चिन्तकों और स्तभंकारों ने लिखा है कि न्यायपालिका में एक वर्ग विशेष का कब्जा बना हुआ है, इसलिए तमाम फैसलों पर उसका असर पड़ता है। इसी तरह एक ही परिवार के लोगों का पीढ़ी दर पीढ़ी न्यायपालिका में होना भी आलोचना का विषय रहा है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलीजियम की भी आलोचना होती रही है, जहां जज ही जज को चुनते हैं। तमाम वर्गों का प्रतिनिधित्व न्यायपालिका से गायब है। 
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक स्टालिन ने कहा कि दक्षिण भारत के लोगों के लिए चेन्नै में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच बनाई जानी चाहिए। यह बहुत जरूरी है, क्योंकि तमिलनाडु के लोगों को दिल्ली आने-जाने में परेशानी होती है। उन्होंने कहा, उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के जज मेरी मांग और बात पर विचार करेंगे।

मेरी सरकार कानून और सामाजिक न्याय से संचालित होती है। सरकार और अदालत ने लोगों की भलाई और इंसाफ के लिए हमेशा काम किया है। न्याय लोगों के कल्याण से जुड़ा हुआ है। न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे की मजबूती के लिए मेरी सरकार का संकल्प हमेशा बना रहेगा।


- एम के स्टालिन, मुख्यमंत्री, तमिलनाडु, रविवार को चेन्नै में

इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय किशन कौल ने मद्रास हाईकोर्ट के इस्तेमाल के लिए यहां के पुराने लॉ कॉलेज भवन के जीर्णोद्धार के काम की शुरुआत कराई।

मद्रास लॉ कॉलेज का 1891 में उद्घाटन हुआ था। बाद में डॉ बी आर आम्बेडकर के नाम पर इसका नाम रखा गया था। यह एक हैरिटेज बिल्डिंग है और हाईकोर्ट कैंपस के बगल में है। स्टालिन ने याद किया कि पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने ही आम्बेडकर के नाम पर कॉलेज का नाम बदला था।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

तमिलनाडु से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें