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तमिलनाडु के सीएम स्टालिन

नीट खत्म करके ही मानेंगेः स्टालिन, तमिलनाडु में पिता-पुत्र ने जान दी

नीट (National Eligibility-cum-Entrance Test) में नाकाम होने के बाद चेन्नई के 19 वर्षीय एमबीबीएस कैंडिडेट ने आत्महत्या कर ली। लेकिन गजब तब हुआ, जब बेटे की मौत से सदमे में गए पिता ने भी अगले दिन जान दे दी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने सोमवार को छात्रों को आश्वासन दिया कि नीट को समाप्त कर दिया जाएगा। उन्होंने छात्रों से खुदकुशी जैसे बुरे विचार से बाहर निकलने और आत्मविश्वास के साथ जीवन का सामना करने को कहा है।

एक बयान में स्टालिन ने कहा- "मैं अपील करता हूं कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी छात्र को अपनी जान देने का फैसला नहीं करना चाहिए। NEET जो आपके विकास में बाधा है, को खत्म कर दिया जाएगा। राज्य सरकार इस दिशा में कानूनी सलाह पर काम कर रही है।" 
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दो बार NEET परीक्षा पास करने में असफल होने के बाद 19 वर्षीय मेडिकल कैंडिडेट ने चेन्नई में खुदकुशी की थी। छात्र के पिता का भी शव सोमवार 14 अगस्त को मिला। उन्होंने भी जान दे दी थी। छात्र जगदीश्वरन को 12 अगस्त को शहर के क्रोमपेट इलाके में अपने कमरे में लटका हुआ पाया गया था। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

कथित तौर पर छात्र दो प्रयासों में NEET के लिए में आवश्यक मार्क्स प्राप्त नहीं कर पाने के बाद उदास था। पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। हालाँकि, उनके पिता सेल्वासेकर ने सोमवार को दुखद रूप से फांसी लगाने से पहले अपने बेटे की मौत के लिए एनईईटी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था। अपनी मृत्यु से पहले, सेल्वासेकर ने कहा कि वह तमिलनाडु में NEET को हटाने के लिए विरोध करने के लिए तैयार हैं।
छात्र के पिता ने मरने से पहले जो बयान दिया था, उससे मुख्यमंत्री स्टालिन ने एक चेतावनी की तरह लिया और फौरन घोषणा कर दी कि वो तमिलनाडु में नीट खत्म करके ही दम लेंगे।

राज्यपाल की राजनीति

तमिलनाडु में नीट पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को मंजूरी नहीं देने के लिए राज्यपाल आरएन रवि पर निशाना साधते हुए स्टालिन ने कहा कि उनकी सरकार प्रस्तावित कानून पर विधानसभा में दो बार विधेयक ला चुकी है। हमने इसे (बिल) राज्यपाल को भेज दिया। पहले तो उन्होंने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। फिर दबाव में आकर उसे वापस भेज दिया। हमने विधानसभा में फिर से प्रस्ताव पारित करने के बाद इसे राज्यपाल के पास वापस भेज दिया। उन्हें सहमति देनी थी, लेकिन उन्होंने इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया। 

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क़मर वहीद नक़वी
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