मदुरै के थिरुप्परंकुंद्रम में कार्तिगई दीपम विवाद का छिपा हुआ संदर्भ देते हुए मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने बीजेपी पर धार्मिक मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। आधिकारिक और पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होने मदुरै आए मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर विभाजनकारी और घातक राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि डीएमके केवल विकास पर केंद्रित है।



उन्होंने कहा- “बीजेपी और उसके साथी घातक साजिशों के जरिए राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। हम जब विकास की बात करते हैं, वे कुछ और बात करते हैं। मैं दृढ़ता से कहता हूँ कि कितनी भी साजिशें रची जाएँ, हम उन्हें हरा देंगे। मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन के साथ ऐसी चालें काम नहीं आएंगी।”
उन्होंने सिलप्पतिकारम की महान नायिका कन्नगी की विरासत का भी स्मरण किया। जिन्होंने अपने पति कोवलन की बिना उचित जाँच के जल्दबाजी में दी गई अन्यायपूर्ण फाँसी के खिलाफ न्याय के लिए आवाज उठाई थी। उन्होंने कहा कि मदुरै वह भूमि है जहाँ कन्नगी ने न्याय के लिए दहाड़ लगाई थी।

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उन्होंने दोहराया कि थिरुप्परंकुंद्रम मुरुगन मंदिर में कार्तिगई दीपम लंबी परंपरा के अनुसार ही किया गया था और राज्य सरकार कभी भी आध्यात्मिक प्रथाओं के खिलाफ नहीं रही।

उन्होंने कहा- “हमारा लक्ष्य तमिलनाडु का विकास करना है। लेकिन कुछ दलों के मन में दंगा करने की मानसिकता है। वे अनावश्यक मुद्दे उठाकर हमारे विकास को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं। कार्तिगई दीपम पारंपरिक स्थान पर ही जलाया गया, सभी नियमों का पालन करते हुए। सब कुछ ठीक तरीके से किया गया। स्थानीय लोग इसे अच्छी तरह जानते हैं; सभी ने पूजा की और घर लौट गए।”

स्टालिन ने सवाल उठाया कि यह अचानक “मुद्दा” क्यों बन गया और इसे कौन बना रहा है।

उन्होंने कहा- “आध्यात्मिकता का मतलब शांति और एकता है। राजनीतिक लाभ के लिए विभाजन पैदा करना आध्यात्मिकता नहीं, सस्ती राजनीति है। हमारी सरकार बनने के बाद हमने 3,000 से अधिक मंदिरों का कुंभाभिषेक करवाया है। अगर ऐसी सरकार को आध्यात्म-विरोधी कहा जाए, तो लोग इसका मकसद स्पष्ट समझ जाएँगे।”
केंद्र सरकार द्वारा मदुरै के लिए मेट्रो रेल और लंबित एम्स परियोजना को खारिज करने की आलोचना करते हुए उन्होंने दक्षिणपंथी समूहों पर तमिलनाडु के विकास में अनावश्यक विवाद खड़े कर बाधा डालने का आरोप लगाया।

इधर, बीजेपी ने राज्य सरकार से अदालत के आदेश का पालन न करने पर सवाल उठाया और डीएमके पर वोट-बैंक राजनीति करने का आरोप लगाया।

थिरुप्परंकुंद्रम विवाद जारी है। तमिलनाडु की अपील अब सुप्रीम कोर्ट में है। इस मुद्दे से संबंधित अवमानना याचिका मदुरै की एकल पीठ के समक्ष लंबित है, जबकि दीपम जलाने के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील खंडपीठ के समक्ष है। कानूनी लड़ाई के अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना के साथ और तीव्र होने की उम्मीद है।



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दीपम विवाद के राजनीतिक निहितार्थ

डीएमके के नेताओं का आरोप है कि दीपम विवाद को उन हिन्दू संगठनों ने शुरू किया है जो आरएसएस से जुड़े हुए हैं। तमिलनाडु में भी 2026 में चुनाव हैं और यह पूरा मामला उसी से जुड़ा है। बीजेपी और आरएसएस अब किसी भी राज्य में विपक्ष की सरकारों को हज़म नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद विवाद टीएमसी के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर के जरिए शुरू कराया। ताकि बंगाल में मुस्लिम वोट ममता बनर्जी से छीनकर बांटे जा सके। इसी तरह तमिलनाडु में दीपम विवाद हिन्दुओं को आपस में बांटने के लिए बीजेपी-आरएसएस ने शुरू किया है।