तेलंगाना के मौजूदा मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता ए. रेवंत रेड्डी, उनके परिवार, रिश्तेदारों और करीबी सहयोगियों पर भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस शासन के दौरान कथित तौर पर अवैध निगरानी की गई थी। यह सनसनीखेज खुलासा तेलंगाना पुलिस की एक जांच से सामने आया है। पुलिस बीआरएस के शासनकाल यानी 2014-2023 के दौरान 600 से अधिक व्यक्तियों पर अवैध निगरानी के आरोपों की जांच कर रही है। द इंडियन एक्सप्रेस ने इस पर रिपोर्ट छापी है। जांचकर्ताओं के अनुसार, रेवंत रेड्डी पर निगरानी के लिए एक विशेष 'आरआर मॉड्यूल' बनाया गया था, जिसे विशेष खुफिया शाखा यानी एसआईबी के तत्कालीन डीएसपी प्रणीत राव और उनकी टीम ने चलाया था। इस मॉड्यूल में रेवंत के परिवार, रिश्तेदारों, पार्टी सहयोगियों और यहां तक कि उनके ड्राइवरों और बचपन के दोस्तों तक की प्रोफाइल तैयार की गई थी। इस खुलासे के बाद तेलंगाना में राजनीतिक हलकों में हलचल है और बीआरएस पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
बीआरएस सरकार में रेवंत रेड्डी की अवैध निगरानी के लिए बना था 'RR मॉड्यूल': रिपोर्ट
- तेलंगाना
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- 8 Aug, 2025
क्या बीआरएस सरकार के कार्यकाल में रेवंत रेड्डी और उनके करीबियों की अवैध निगरानी की गई थी? जानें पुलिस जाँच में क्या कहा गया है और इस खुलासे से जुड़ी पूरी जानकारी।

जांच क्यों की गई?
तेलंगाना में 3 दिसंबर 2023 को कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बीआरएस सरकार के दौरान अवैध फोन टैपिंग और निगरानी के आरोपों की जांच शुरू की गई थी। यह जांच तब तेज हुई जब रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड और अन्य टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं के 'टॉप-सीक्रेट रिकॉन्सिलिएशन लेटर्स' सामने आए, जिनमें विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 16 से 30 नवंबर 2023 तक कुछ फोन नंबरों पर निगरानी की जानकारी थी। इन दस्तावेजों से पता चला कि बीआरएस ने राज्य की नक्सल-विरोधी निगरानी प्रणाली का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं, कारोबारियों, पत्रकारों, एक हाईकोर्ट जज और यहाँ तक कि बीआरएस के कुछ असंतुष्ट नेताओं पर निगरानी की थी।