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कुछ बीजेपी विधायकों की माँग- त्रिपुरा सीएम बिप्लब देब को हटाएँ; सरकार मुश्किल में?

क्या त्रिपुरा की बीजेपी सरकार के लिए ख़तरे की घंटी बज गई है? कम से कम 7 विधायक मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के ख़िलाफ़ बग़ावत पर उतर आए हैं और उन्हें बदलने की माँग को लेकर दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। ये विधायक बिप्लब कुमार देब को 'तानाशाह', 'अनुभवहीन' और 'अलोकप्रिय' होने का आरोप लगा रहे हैं। वैसे, हाल के वर्षों में बीजेपी शासित राज्यों में मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ अपनी ही पार्टी के सदस्यों द्वारा मोर्चा खोलना अप्रत्याशित है। माना जाता है कि मोदी और शाह की जोड़ी पार्टी में ऐसे विरोध से निपटने में माहिर है। 

बिप्लब कुमार देब के ख़िलाफ़ दिल्ली में जो विधायक बैठे हैं उसका नेतृत्व सुदीप रॉय बर्मन कर रहे हैं। उनके नेतृत्व का दावा है कि कम कम दो और विधायकों का उनको समर्थन है। बता दें कि 60 विधायकों वाली विधानसभा में बीजेपी के 36 विधायक हैं। इसके अलावा बीजेपी को आईपीएफ़टी के आठ विधायकों का भी समर्थन हासिल है। 

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विधायक जिन बिप्लब कुमार देब को  'अनुभवहीन', 'अलोकप्रिय' और 'तानाशाह' बता रहे हैं वह दरअसल काफ़ी विवादों में रहे हैं। ऐसे बयानों के लिए जो सामान्य तौर पर वैज्ञानिक या सामान्य नहीं कहे जा सकते हैं। बिप्लब कुमार देब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं। इस तथ्य से अनजान व्यक्ति यदि उनके बयान सुने तो शायद विश्वास न कर पाए कि ऐसा बयान कोई मुख्यमंत्री भी दे सकता है! मुख्यमंत्री जैसे पद पर ज़िम्मेदार व्यक्ति भला ऐसे कैसे कह सकता है कि पंजाबी और जाट ताक़तवर होते हैं लेकिन उनके पास कम दिमाग़ होता है! कौन ऐसा मुख्यमंत्री होगा जो यह कहेगा कि महाभारत काल में इंटरनेट और सैटेलाइट थे! क्या मुख्यमंत्री बेरोज़गारों को पान की दुकान खोलने और गाय पालने की नसीहत दे सकता है? ऐसा कौन कहेगा कि मिस यूनिवर्स डायना हेडन इंडियन ब्यूटी नहीं हैं। 

यह हो सकता है कि कभी किसी नेता की ज़ुबान फिसल जाए। लेकिन यदि बार-बार ऐसी ही भाषा बोली जाए तो क्या हर बार उसे ज़ुबान फिसलना कहा जाएगा? बिप्लब देब जब से मुख्यमंत्री बने हैं तब से ऐसे बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं और उनकी आलोचना भी हुई है। 

हालाँकि, बाग़ी विधायकों की नाराज़गी बिप्लब के ऐसे विवादास्पद बयानों से है या नहीं, यह तो नहीं पता है, लेकिन उनका 'अनुभवहीन' और 'अलोकप्रिय' होने का आरोप इसी संदर्भ में लगता है।

दिल्ली में डटे हुए ये विधायक राष्ट्रीय नेतृत्व से मुलाक़ात करना चाहते हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, उन सात विधायकों में बर्मन के अलावा, सुशांत चौधरी, आशीष साहा, दिवा चंद्र रंखल, बर्ब मोहन त्रिपुरा, परिमल देब बर्मन और राम प्रसाद पाल बताए जाते हैं। चौधरी ने दावा किया कि बीरेंद्र किशोर देब बर्मन और बिप्लब घोष भी उनके साथ हैं, उन्होंने कहा कि दोनों दिल्ली में नहीं हैं क्योंकि वे कोरोना संक्रमित हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा सूत्रों ने कहा कि महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने बर्मन से मुलाक़ात की और उन्हें बताया कि शीर्ष पर बदलाव की संभावना नहीं है और जब तक कि प्रधानमंत्री द्वारा पहल नहीं की जाती, पार्टी ऐसे निर्णय नहीं लेगी।

बाग़ी विधायकों ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की माँग की है। चौधरी ने कहा है कि हम प्रधानमंत्री के साथ बैठक करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि त्रिपुरा में क्या हो रहा है, इस पर प्रधानमंत्री को अंधेरे में नहीं रखा जा सकता।

अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, चौधरी ने जोर देकर कहा कि उन्हें केंद्र में बीजेपी या उसके नेतृत्व के ख़िलाफ़ कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा, 'हम बीजेपी की विचारधारा और पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति निष्ठावान हैं।' बता दें कि चौधरी और बर्मन 2017 में बीजेपी में शामिल होने वाले सात पूर्व कांग्रेस नेताओं में से थे। देब के क़रीबी सूत्रों ने बताया कि बर्मन को लोकसभा चुनाव के बाद मंत्री पद से हटा दिया गया था जब कुछ नेताओं ने आरोप लगाया था कि उन्होंने बीजेपी के हितों के ख़िलाफ़ काम किया है।

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रिपोर्ट के अनुसार, चौधरी ने चेतावनी दी कि इस तरह से स्थिति जारी रही तो कम्युनिस्ट सत्ता में लौट सकते हैं। उन्होंने कहा, 'यदि बीजेपी नेतृत्व त्रिपुरा में पार्टी के शासन को बरकरार रखने के लिए उत्सुक है तो उन्हें देब की जगह पर किसी और को बदलना चाहिए। उन्हें न तो शासन करने का अनुभव है, न ही राजनीतिक कौशल। वह सबसे अनुभवहीन हैं और सबसे असुरक्षित महसूस करते हैं।'

चौधरी ने कहा कि भाजपा नेतृत्व इसकी पुष्टि करने के लिए सीएम की लोकप्रियता पर एक सर्वेक्षण कर सकता है। 

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, देब के नजदीकी और त्रिपुरा के बीजेपी नेता कहते हैं कि राज्य सरकार के लिए कोई ख़तरा नहीं है। त्रिपुरा बीजेपी अध्यक्ष मानिक शाह ने कहा, 'सरकार पूरी तरह सुरक्षित है, मैं भरोसा दे सकता हूँ कि सात या आठ विधायक सरकार नहीं गिरा सकते हैं। इन विधायकों ने पार्टी के भीतर कोई शिकायत नहीं रखी है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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