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टिपरा नेता माणिक्य देव बर्मन।

त्रिपुरा चुनावः नए समीकरण के संकेत, गुवाहाटी के होटल में बैठक

त्रिपुरा में नए समीकरण बनने जा रहे हैं। बीजेपी गठबंधन की सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) अब बीजेपी का साथ छोड़ने जा रही है। उसने  क्षेत्रीय दल टीआईपीआरए से बातचीत शुरू कर दी है। दोनों दलों के बीच एक होटल में कल शनिवार से बैठक चल रही है। जिसमें दोनों का पार्टियों का विलय कर चुनाव लड़ने पर बातचीत हो रही है। अगर इन दोनों दलों का गठबंधन या विलय होता है और वे चुनाव में उतरते हैं तो बीजेपी की मुश्किलें त्रिपुरा में बढ़ जाएंगी। त्रिपुरा में अगले महीने चुनाव होने वाले हैं। 

एनडीटीवी की खबर के मुताबिक पिछली रात गुवाहाटी के एक होटल में आईपीएफटी नेताओं और माणिक्य देबबर्मन के बीच बैठक हुई थी। टीआईपीआरए के प्रद्योत देबबर्मन ने एनडीटीवी से कहा, हमने विलय के लिए बातचीत शुरू कर दी है, जिसके दौरान साझा झंडा और चुनाव चिह्न पर चर्चा की जा रही है। यह प्रक्रिया पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा शुरू की गई है। 
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पिछले हफ्ते, देबबर्मन ने आईपीएफटी को पत्र लिखकर क्षेत्रीय दलों के बीच एकता की मांग की थी। पार्टी सूत्रों ने कहा कि आईपीएफटी ने इस पर बैठक रखने की मांग की। 

मौजूदा स्थिति

आईपीएफटी और बीजेपी ने 2018 के चुनावों में गठबंधन किया था और आईपीएफटी ने 8 सीटें जीतीं। त्रिपुरा की बीजेपी सरकार में उसके दो मंत्री भी हैं, लेकिन उसके तीन विधायक टीआईपीआरए में चले गए।
मुद्दा अलग राज्य का है आईपीएफटी के प्रमुख प्रेम कुमार रियांग ने एनडीटीवी से कहा-आईपीएफटी 2018 से बीजेपी के साथ गठबंधन में है। हमने एक साथ चुनाव लड़ा और जीता लेकिन अलग राज्य की हमारी मांग पूरी नहीं हुई है। हम अलग तिपरालैंड के लिए लड़ रहे हैं और अब तक हमें कुछ हासिल नहीं हुआ है। हम अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। 2009 के बाद से यह मांग बराबर जारी है लेकिन अब तक हमने कुछ भी हासिल नहीं किया है, हमें सिर्फ धोखा मिला है।
60 सदस्यीय विधानसभा के लिए 16 फरवरी को होने वाले चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के विलय से बीजेपी के लिए राजनीतिक समीकरण और भी मुश्किल वाले हो सकते हैं। IPFT और TIPRA दोनों मिलकर राज्य में 20 आदिवासी आरक्षित सीटों पर जीत हासिल करने की क्षमता रखते हैं और अन्य पांच से सात सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
एनडीटीवी के मुताबिक हालाँकि, IPFT और TIPRA ने संकेत दिया है कि उन्होंने त्रिपुरा के आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य के अपने मुख्य एजेंडे पर लिखित आश्वासन मिलने पर ही बीजेपी या वामपंथी- कांग्रेस के साथ गठबंधन की गुंजाइश खुली रखी है।
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देवबर्मन ने कहा - कई राजनीतिक दलों ने हमसे संपर्क किया, लेकिन हम अपने लोगों से झूठ नहीं बोल सकते, जिन्होंने 70 साल से ज्यादा की पीड़ा झेली है। हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम लिखित में संवैधानिक समाधान चाहते हैं। हम किसी भी राजनीतिक दल के साथ तब तक गठबंधन नहीं करेंगे, जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। क्योंकि हम अपने लोगों के साथ विश्वासघात नहीं कर सकते। अतीत में, कई राजनीतिक दलों ने इस मामले पर मौखिक वादा किया था, लेकिन फिर चुनाव के बाद हमें निराश कर दिया। इस बार हम लिखित आश्वासन से कम कुछ भी लेने के लिए तैयार नहीं हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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