दिल्ली विश्वविद्यालय में विनायक दामोदर सावरकर के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाने के प्रकरण ने नई बहस को जन्म दे दिया है। यह बहस ऐसे समय की जा रही है, जब देश में छद्म राष्ट्रवाद अपने उफ़ान पर है, जिसमें उग्र हिन्दुत्व भी मिला हुआ है। देश को अंग्रेज़ों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना जिस व्यक्ति ने की थी, उसकी तुलना उस सावरकर से की जा रही है, जिसने अंग्रेज़ों को हर तरह की सैन्य मदद का भरोसा दिया था।
अँग्रेजों के मददगार सावरकर को पूजोगे या अँग्रेजों से लड़ने वाले बोस को?
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- 29 Mar, 2025
सुभाष के सामने सावरकर को खड़ा करने की कोशिश की जा रही है, जिसने अंग्रेज़ों को भगाने के लिए क़ुर्बानियाँ दीं, उनके सामने उस शख़्स को खड़ाने करने का प्रयास हो रहा है जिसने अंग्रेजों की मदद की।
