राहुल गांधी ने जाति जनगणना कराने के केंद्र के फ़ैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इस क़दम को कांग्रेस का विज़न बताया। उन्होंने कहा, 'हमारा विज़न था, खुशी है कि उन्होंने इसे अपनाया।' हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह इस प्रक्रिया के लिए एक साफ़ टाइम लाइन चाहते हैं। यह क़दम सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक ऐतिहासिक क़दम माना जा रहा है, लेकिन इसके कार्यान्वयन और परिणामों को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं।
राहुल गांधी की यह टिप्पणी तब आई है जब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जाति आधारित गणना को शामिल करने की मंजूरी दी है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पिछले कई वर्षों से जाति जनगणना को अपनी राजनीतिक और सामाजिक एजेंडा का मुख्य मुद्दा बनाया है। उन्होंने इसे न केवल एक जनगणना बल्कि सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने का आधार बताया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना का वादा किया था, जिसमें जातियों, उप-जातियों और उनके सामाजिक-आर्थिक हालात का आकलन करने की बात थी। राहुल ने इसे 'राष्ट्रीय एक्स-रे' क़रार देते हुए कहा कि यह देश में धन वितरण और संस्थागत भागीदारी की वास्तविक स्थिति को उजागर करेगा।