पूर्व प्रधानमंत्रियों को नीचा दिखाने के लिए बीजेपी ने एक अजब दावा किया है। बीजेपी आईटी सेल के चेयरमैन अमित मालवीय ने X पर पोस्ट किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 25 अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले, जबकि नेहरू, इंदिरा, और मनमोहन को मिलाकर कुल छह सम्मान ही मिले। यह बताता है कि भारत की विदेश नीति कमज़ोर नहीं हुई। लेकिन क्या सम्मान मिलना ही विदेश नीति की सफलता का पैमाना है? क्या जिन देशों ने मोदी को सम्मान दिया, उन्होंने उनकी किसी ऐसी नीति की तारीफ़ की, जो वैश्विक मिसाल बन सके? क्या मोदी ने कोई ऐसा सिद्धांत पेश किया, जो दुनिया के लिए रास्ता दिखाए, जैसा कि नेहरू जैसे स्वप्नदर्शी राजनेता ने दिया।
मोदी के सम्मान के सहारे बीजेपी ने किया पूर्व प्रधानमंत्रियों का अपमान!
- विश्लेषण
- |
- |
- 5 Jul, 2025

प्रधानमंत्री मोदी को मिले अंतरराष्ट्रीय सम्मान को लेकर बीजेपी पर आरोप लग रहे हैं कि उसने पूर्व प्रधानमंत्रियों की उपेक्षा कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की। जानिए विवाद की पूरी कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।
वैसे, विश्व पर छाप छोड़ने वाले नेता औपचारिक सम्मान के मोहताज नहीं होते। महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्याग्रह के ज़रिए न केवल भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ी, बल्कि विश्व मंच पर नैतिकता की मिसाल कायम की। उनकी नीतियों ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला जैसे नेताओं को प्रेरित किया। गाँधी को 1937, 1938, 1939, 1947, और 1948 में पाँच बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन उन्हें यह सम्मान नहीं मिला। उनकी सत्य और अहिंसा की रणनीति नोबेल चयन समिति के पारंपरिक ढांचे में फिट नहीं बैठती थी, और संभवतः ब्रिटिश सरकार को नाराज़ करने का डर भी एक कारण था।