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अखिलेश यूपी में 'यादव एनकाउंटर' पर इतना नाराज क्यों हैं?

हाई-प्रोफाइल डकैती मामले के आरोपी मंगेश यादव की मौत पर चल रहे विवाद के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर हमला बोला। अखिलेश यादव का यह बयान काफी रणनीतिक माना जा रहा है। राज्य में देर-सवेर 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होना है। अखिलेश की कोशिश है कि भाजपा खेमे में बचे खुचे यादवों को वापस सपा में लाना है। लोकसभा चुनाव में यादवों के काफी वोट भाजपा को मिले थे। अब सुल्तानपुर एनकाउंटर को आगे रखकर अखिलेश भाजपा सरकार को घेर रहे हैं। जबकि भाजपा के यादव नेताओं ने इस कांड पर चुप्पी साध ली है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक तीखी पोस्ट में, अखिलेश यादव ने भाजपा पर फर्जी मुठभेड़ों को अंजाम देने और विशेष रूप से जाति के आधार पर व्यक्तियों को निशाना बनाने के लिए न्याय प्रणाली में हेरफेर करने का आरोप लगाया। यादव ने फर्जी मुठभेड़ों को अंजाम देने का एक व्यवस्थित तरीका बताते हुए लिखा, ''भाजपा शासन में मुठभेड़ों का एक पैटर्न स्थापित किया गया है।''
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उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ भाजपा पहले लक्ष्य का चयन करती है, मनगढ़ंत कहानी बनाती है और बाद में पीड़ित परिवार पर चुप रहने का दबाव बनाती है। यादव ने सरकार पर अपने कथन का समर्थन करने के लिए मीडिया प्रचार का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया।अखिलेश यादव की यह टिप्पणी मंगेश यादव की हत्या के बाद आई, जो अगस्त में सुल्तानपुर में एक आभूषण की दुकान में दिनदहाड़े ₹1.5 करोड़ की डकैती के मामले में वांछित थे। कथित तौर पर मंगेश यादव ने चार अन्य लोगों के साथ मिलकर ठठेरी बाजार में दुकान को लूट लिया था और उनके सिर पर ₹1 लाख का इनाम रखा गया था। लेकिन बाद में पुलिस के सारे तथ्य झूठे साबित हुए।
पुलिस का दावा है कि सुल्तानपुर में गुरुवार सुबह एसटीएफ टीम के नेतृत्व में हुई मुठभेड़ के दौरान जवाबी गोलीबारी में मंगेश यादव मारा गया। अतिरिक्त महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अमिताभ यश के अनुसार, अपराधी 2021 और 2024 के बीच जौनपुर, सुल्तानपुर और प्रतापगढ़ जिलों में लूट, डकैती और चोरी के कई मामलों में शामिल था।
हालाँकि, अखिलेश यादव की पोस्ट ने संकेत दिया कि पुलिस की ज्यादतियों को छिपाने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए मुठभेड़ का नाटक किया गया था। यादव ने अपने पोस्ट में कहा, ''बीजेपी अपनी ताकत के साथ इस तरह के एनकाउंटर को जितना सच साबित करने की कोशिश करती है, एनकाउंटर उतना ही बड़ा झूठ साबित होता है।''
उन्होंने भाजपा पर इन कार्यों का बचाव करने के लिए दूसरे स्तर के राजनेताओं का उपयोग करके और प्रचार के लिए मीडिया आउटलेट्स का लाभ उठाकर अपने शीर्ष नेताओं को बचाने का आरोप लगाया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “तथाकथित बड़े भाजपा नेता, जो झूठ बोलने में माहिर हैं, को ऐसी अवैध मुठभेड़ों को सही ठहराने के लिए तर्कहीन बयान देने के लिए प्रेरित किया जाता है।” उन्होंने कहा, "जब जनता का गुस्सा बढ़ता है तो सतही जांच के नाम पर मामले को दबा दिया जाता है।"
पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने घटना के दौरान चप्पल पहने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की तस्वीर की ओर इशारा करते हुए मुठभेड़ की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं। ठाकुर ने सवाल किया कि ऐसे जूते कैसे अधिकारी को तेज़ गति से पीछा करने में सक्षम बनाएंगे, जिससे फर्जी मुठभेड़ के संदेह को और बल मिलेगा।
एक वीडियो बयान में अमिताभ ठाकुर ने कहा- “डीके शाही की एक तस्वीर सामने आई है जिसमें वह मंगेश यादव के कथित एनकाउंटर के वक्त चप्पल पहने नजर आ रहे हैं। चप्पलों का डिज़ाइन ऐसा है कि उसे पहनकर दौड़ना, पीछा करना आदि असंभव है।” उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पुलिस निष्पक्ष रूप से काम करती है और जाति-आधारित कार्यों में शामिल नहीं होती है। कुमार ने लखनऊ में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, "पुलिस ऐसी चीजों में शामिल नहीं होती... वो निष्पक्षता से कार्रवाई कर रही है।" हालांकि यूपी में भाजपाई ध्रुवीकरण की कोशिशों की वजह से आला अफसर भी सरकार को अपनी तमाम साम्प्रदायिक गतिविधियों से खुश करने में जुटे रहते हैं। प्रशांत कुमार हेलिकॉप्टर से कावंड़ियों पर पुष्प वर्षा के लिए मशहूर हुए थे। जबकि यूपी के पुलिस इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ।
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सुल्तानपुर मुठभेड़ उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाओं की कड़ी में नवीनतम है, जहां पुलिस ने कथित अपराधियों पर कार्रवाई तेज कर दी है। जहां भाजपा सरकार इन मुठभेड़ों को अपराध रोकने में अपनी सफलता बता रही है, वहीं विपक्षी दलों ने गैर-न्यायिक हत्याओं की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की है।
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क़मर वहीद नक़वी
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