चंद्रशेखर अब आज़ाद होकर चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं। वह अखिलेश यादव को धोखेबाज कह रहे हैं। महत्वपूर्ण सवाल है कि बगैर कुछ किए ही अखिलेश यादव धोखेबाज कैसे हो गये? चंद्रशेखर आजाद यह भी कह रहे हैं कि अखिलेश यादव को दलितों को साथ लेकर चलना ही नहीं है। वे ऐसा चाहते ही नहीं हैं। यह वही भाषा है जो अखिलेश के लिए बीजेपी बोलना चाहती है। सवाल यह है कि क्या अखिलेश बीजेपी के बुने जाल में फंस गये हैं?