इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं कि जाति को बढ़ावा देने वाली हर चीज पर रोक लगाई जाए। कोर्ट ने कहा कि पुलिस की FIR, सरकारी दस्तावेजों, गाड़ियों और सार्वजनिक जगहों से जाति का नाम पूरी तरह हटाया जाए। यह फैसला 16 सितंबर 2025 को जज विनोद दिवाकर ने सुनाया। उन्होंने जाति को बढ़ावा देने को 'देश के खिलाफ' बताया और कहा कि संविधान का सम्मान करना ही सच्ची देशभक्ति है।
यूपी में जाति का ग्लोरिफिकेशन बंद हो, FIR, रिकॉर्ड से जाति का नाम हटे: हाई कोर्ट
- उत्तर प्रदेश
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- 20 Sep, 2025
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी में जाति आधारित भेदभाव रोकने के लिए निर्देश दिया है कि FIR और सरकारी रिकॉर्ड में जाति का नाम दर्ज न किया जाए। अदालत ने इसको लेकर कड़ी टिप्पणियाँ कीं।

यह आदेश एक आपराधिक मामले में आया, जिसमें प्रवीण छेत्री नाम के व्यक्ति ने अपनी FIR और केस रद्द करने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने देखा कि FIR में उनकी जाति का जिक्र था। जज ने इसे गलत बताया और कहा कि यह संविधान के खिलाफ है। इससे समाज में भेदभाव और गलत सोच बढ़ती है।