अतीक अहमद फिर बीजेपी के चुनाव में काम आ सकता है। ऐसी ख़बरें हैं कि वह फिर फूलपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ सकता है। उसका इस क्षेत्र में काफ़ी असर रहा है और वह मुसलिम समुदाय के वोट काट सकता है। मुसलिम वोट कटने पर किसे फ़ायदा होगा, यह जगज़ाहिर है।
अतीक अहमद पर सिर्फ़ मायावती सरकार के कार्यकाल में गंभीर क़ानूनी कार्रवाई हो सकी थी, वरना हर सरकार में वह हमदर्द ढूँढ लेता है। आरोप है कि उसे जेल से ही गैंग चलाने, क़त्ल कराने, फ़िरौती वसूलने और जेल में हर क़िस्म का ऐश करने का मौक़ा प्रशासन की मदद से मिलता रहा है। ग़ौरतलब है कि अतीक अहमद के ज़्यादातर शिकार वैसे व्यापारी रहे हैं जो बीजेपी के भी समर्थक हैं और जिसकी बस्ती जेल में पिटाई की गई थी वह भी उनमें से एक था।