loader

संतों ने दी आन्दोलन की धमकी, राम मंदिर ट्रस्ट का दाँव पड़ा उल्टा?

दिल्ली विधानसभा के लिए मतदान से ठीक पहले अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर के ट्रस्ट के गठन का मोदी सरकार का दाँव उलटा पड़ता दिख रहा है। सरकार के इस ट्रस्ट को लेकर राम जन्मभूमि आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाने वाले अयोध्या के मठों, मंदिरों व आश्रमों के संत-महंत इस ट्रस्ट में अपनी भूमिका न पाकर ख़फ़ा हैं। केंद्र सरकार के इस ट्रस्ट में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े किसी संत का नाम नही है।

सम्बंधित खबरें

ट्रस्ट की ज़रूरत ही नहीं थी?

अयोध्या में संतों ने इसके ख़िलाफ़ खुली बग़ावत कर दी है। संतो में बड़ा आक्रोश राम मंदिर आंदोलन के शीर्ष पुरुष कहे जाने वाले महंत रामचंद्र दास परमहंस के उत्तराधिकारी को न शामिल करने को लेकर भी है।
अयोध्या के संतों ने सवाल उठाया है कि जब मंदिर निर्माण के लिए रामालय ट्रस्ट बना हुआ था तो सरकार को किसी नए ट्रस्ट को बनाने की ज़रूरत ही क्या थी!

निशाने पर अमित शाह

श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन के बाद राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास ने कहा है कि हम इस ट्रस्ट को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि इस ट्रस्ट में वैष्णव समाज के संतों का अपमान  किया गया है। जो राम मंदिर आंदोलन से लगे रहे और कुर्बानी दी, उनको ट्रस्ट से दूर रखा गया है ।

कमल नयन दास का कहना है कि राम मंदिर आंदोलन से नहीं जुड़े रहे लोगों को  ट्रस्ट में शामिल किए जाने से संत नाराज़ हैं। उन्होंने कहा कि संतों के बजाय स्वार्थी तत्वों को इस सरकारी ट्रस्ट में रखा गया है। संत कमलनयन दास ने सरकारी ट्रस्ट के विरोध में आन्दोलन की चेतावनी दी है।

संत करेंगे आंदोलन

अयोध्या के दूसरे के संतों ने भी तीखा विरोध किया है। उनका कहना है कि संत नही, राजनैतिक लोगों के इसमें शामिल किया गया है। ट्रस्ट में रखे गए अयोध्या राजपरिवार के विमलेश मोहन प्रताप मिश्रा को संतों ने राजनैतिक बताते हुए कहा कि वो बीएसपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े हैं और इनका राम जन्म भूमि से कोई लेना देना नहीं है। संत कमलनयन दास का कहना है कि ट्रस्ट के गठन में रामानंदी संतों का अपमान किया गया है।
उन्होंने कहा कि राम मंदिर आन्दोलन के समय संतों के बीच यह राय बनी थी कि राम जन्म भूमि का अध्यक्ष राम नंदी वैष्णव ही होगा।
कमल नयन दास ने ऐलान किया है कि ट्रस्ट के तमाम सदस्यों को अयोध्या में प्रवेश नही करने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले पर संत समाज की बैठक मणिराम दास छावनी पर बुलायी जा रही है।
उधर ट्रस्ट के गठन के बाद राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपालदास ने भी कहा है कि अयोध्यावासी संत महंतों का ट्रस्ट के माध्यम से अपमान किया गया है। 

अखाड़ा परिषद, विहिप ट्रस्ट के साथ इस विरोध के बीच विश्व हिंदू परिषद और अखाड़ा परिषद ने ट्रस्ट के गठन का स्वागत किया है। विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा का कहना है कि सालों के संघर्ष का फल मिलने का समय आ गया है और अब मंदिर निर्माण के साथ ही अयोध्या का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकास होगा। 

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का कहना है कि राम मंदिर ट्रस्ट में किसे रखा जाना है और किसे नही यह चिंता का विषय नही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अब जल्द शुरु हो जाना चाहिए।
उन्होंने भी मंहत रामचंद्रदास परमहंस के उत्तराधिकारी को ट्रस्ट में रखे जाने की वकालत की है। राम जन्मभूमि के पुजारी सत्येंद्रदास ने कहा कि ट्रस्ट के सदस्यों को लेकर कोई विवाद नही होगा पर मंदिर का आकार बड़ा करना होगा।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
कुमार तथागत
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें