पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की आबादी 17 फ़ीसदी है जबकि मुसलमानों की 26 फ़ीसदी। इसके अलावा दलितों की भी अच्छी सियासी हैसियत है। इन तीनों का वोट इस संभावित गठबंधन को मिला तो बाक़ी दलों की सियासी नाव का डूबना तय है।
बीजेपी जानती है कि अगर किसान आंदोलन का कोई हल नहीं निकला तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसके उम्मीदवारों को जमानत बचाना मुश्किल हो जाएगा। पंचायत चुनाव के नतीजे बताते हैं कि यहां एसपी-आरएलडी गठबंधन ने उससे कहीं ज़्यादा सीटें झटकी हैं।