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किसान खेती करे या फ़ेंसिंग और फिर मशाल जलाकर दौड़ता फिरे?

आगरा में आवारा पशुओं से परेशान किसानों ने गाँव-गाँव में खेतों पर ऐसे फ़ेंसिंग कर दी है मानो भारत पाकिस्तान का बॉर्डर हो। कई बार फ़ेंसिंग को तोड़कर पशु फ़सलों को चट कर जा रहे हैं। कई किसान फ़ेंसिंग कराने में भी सक्षम नहीं हैं। ऐसे में वे अपनी फ़सलें बचाने के लिए हाथों में जलती हुई मशालें लेकर आवारा जानवरों के पीछे-पीछे दौड़ रहे हैं। 

किसानों का कहना है कि पलक झपकते ही आवारा जानवर पूरी की पूरी फ़सल चट कर जा रहे हैं। इसी से बचान के लिए किसानों ने कँटीले तारों की फ़ेंसिंग की है। दिन में किसानी और रात में रखवाली, आगरा के तमाम गाँवों के किसानों की यही दिनचर्या हो गयी है। आगरा के कुंडौल, शमशाबाद, फतेहाबाद, खंदौली और एत्मादपुर ब्लॉक के तमाम गाँवों में यह बड़ी समस्या है। कुंडौल के किसानों का कहना है कि पहले से ही हम परेशान हैं। खेती से मुनाफ़ा नहीं आ रहा है। अब बाजार से 80 से 90 रुपये प्रति किलो के हिसाब से कँटीले तारों को बाजार से ख़रीदकर खेत के चारों ओर फ़ेंसिंग कर रहे हैं।
  • आवारा जानवरों की वजह से किसान अपने खेतों पर 24 घंटे लगातार रह रहे हैं। ऐसे में खेतों पर ही रात में सोने के लिए झोपड़ी डाल रखी है ताकि रात में भी इन जानवरों से अपनी फ़सल को बचाया जा सके। सरकार इन आवारा जानवरों को गौशाला तक पहुँचाने के लिए तमाम दिशा निर्देश दे रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में ये समस्या अब जनाक्रोश में बदलती जा रही है। ऐसे में किसानों के आक्रोश का कहीं सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार को खामियाजा ना भुगतना पड़े!
किसान ओमप्रकाश कहते हैं कि आवारा पशु हमारी फ़सलों को काफ़ी नुक़सान पहुँचा रहे हैं। हम परेशान होकर खेतों की फ़ेंसिंग कर रहे हैं। जो तार 40 रुपये प्रति किलो मिलता था वह 80 से 90 रुपए प्रति किलो मिल रहा है। जो पैसा खाद में लगना चाहिए था वह अब इन तारों को ख़रीदने में जा रहा है।

किसान और आलू किसान विकास समिति के जिलाध्यक्ष राजवीर लवानियाँ कहते हैं कि खेत हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बॉर्डर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पूरी रात किसानों को जागना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवादियों की तरह गोवंश आते हैं और पूरी फ़सल को रौंद कर चले जाते हैं। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए और कहा कि सरकार कितनी गंभीर है यह पता नहीं, लेकिन हम अपनी फ़सलों के लिए गंभीर हैं। पूरी रात जागकर फ़सलों की रखवाली की जा रही है।

क्यों आया यह संकट?

बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में कई राज्य सरकारों ने क़ानून बनाकर नीलगायों को मारने की अनुमति दी जिससे यह संकट कुछ कम हुआ। पर अब आवारा गाय और बैल नया संकट बन गए हैं। भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। दो साल पहले तक यानी उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने से पहले तक ये किसान अनुपयोगी जानवरों को बेच कर कुछ कमाई कर लेते थे। आज इन अनुपयोगी जानवरों का कोई ख़रीदार नहीं है। गोवंश की रक्षा के नाम पर हिंसक प्रदर्शन करने वाले भगवा ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं को किसानों की चिंता बिलकुल नहीं है। सरकार गोशाला खोलकर इस समस्या के हल की बात कर रही है। लेकिन यह नाकाफ़ी साबित हो रहा है।

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विमल कुमार । आगरा
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