कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रही किसान महापंचायतों ने इस इलाक़े में राजनीतिक ज़मीन खो चुकी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को जिंदा होने का मौक़ा दे दिया है। मुज़फ्फरनगर से लेकर बाग़पत और बिजनौर से लेकर मथुरा तक इन महापंचायतों में बड़ी संख्या में लोग उमड़े हैं। लेकिन शुक्रवार को शामली में हुई महापंचायत इन सबसे अलग थी क्योंकि इसे प्रशासन की मंजूरी नहीं मिली थी। बावजूद इसके महापंचायत हुई और इसमें बड़ी संख्या में लोग भी जुटे।
किसान आंदोलन: राजनीतिक ज़मीन बचाने में जुटे जयंत चौधरी
- उत्तर प्रदेश
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- 7 Feb, 2021
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रही किसान महापंचायतों ने इस इलाक़े में राजनीतिक ज़मीन खो चुकी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को जिंदा होने का मौक़ा दे दिया है।

आरएलडी का आधार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही है और चौधरी चरण सिंह के यहां से निकलकर देश का प्रधानमंत्री बनने के कारण लोग उन्हें इस इलाक़े का गौरव बताते हैं। उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे उनके बेटे चौधरी अजित सिंह और पोते जयंत चौधरी के लिए साल 2013 तक सब ठीक था।