प्रोफेसर ने अपने बचाव में कहा कि सवाल का मकसद छात्रों की विश्लेषणात्मक क्षमता का परीक्षण करना था, न कि किसी संगठन को बदनाम करना। हालांकि, उनके इस दावे को ज्यादा समर्थन नहीं मिला। इस बीच, आरएसएस समर्थकों ने इस घटना की निंदा की और इसे संगठन के खिलाफ "राजनीतिक साजिश" करार दिया।