गो रक्षा के नाम पर किसी की जान ले लेना, गो मांस घर में रखा होने के शक में या ले जाने के शक़ में हैवानियत पर उतर आना और ख़ुद को छाती ठोक के गो रक्षक बताना, लेकिन जरा आप ख़ुद से यह सवाल पूछिए कि क्या ऐसे लोग गो रक्षक हो सकते हैं। ये वे लोग हैं जो न तो क़ानून को मानते हैं और न ही नियमों या व्यवस्थाओं को। ये गो रक्षा के नाम पर उन्माद फैलाते हैं, धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों को पीटते हैं और ख़ुद ही जज बनकर कहीं भी किसी को सजा देने के लिए तैयार रहते हैं और विडंबना यह है कि ये ख़ुद को किसी भी हिंदू संगठन का नेता बताते घूमते हैं।