हाल ही में आऱएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाक़ात और फिर कश्मीर पर अपने स्टैंड को लेकर सुर्खियों में रहे जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने बाबरी मसजिद मामले को लेकर मुसलिम पक्षकार सुन्नी वक़्फ बोर्ड पर सौदेबाजी का आरोप लगाया है। जमीयत उलेमा ने संघ से मेलजोल को मुसलमानों के लिए ज़रूरी बताया है। जमीयत ने साफ़ कहा कि बाबरी मसजिद के मामले में सुन्नी वक़्फ बोर्ड के चेयरमैन सौदेबाजी की फिराक में हैं जो उसे क़बूल नहीं है।
लखनऊ में जमीयत उलेमा के यूपी अध्यक्ष मौलाना उसामा कासमी ने सुप्रीम कोर्ट में सुलह की कोशिशें जारी रखने को कहा है। पर उनका मानना है कि इसकी आड़ में सौदेबाजी न हो। जमीयत ने कहा कि सुन्नी वक़्फ बोर्ड के चेयरमैन ज़फ़र फ़ारूक़ी कोई ख़ुफिया डील करना चाहता हैं जो उन्हें व पूरी क़ौम को मंजूर नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस का हवाला देते हुए जमीयत प्रमुख ने कहा कि समझौता हो जाए तो बहुत अच्छा, मगर इसकी आड़ में कोई सौदेबाजी न की जाए।
संघ से मेलजोल ज़रूरी
मुसलमानों के लिए ज़रूरी है कि उनके दिलों में बैठे शक को दूर करने के लिए संघ से राब्ता कायम किया जाए। संघ से मिलने-जुलने में कोई बुराई नहीं है और आगे भी यह होते रहना चाहिए।
बाबरी मसजिद पर समझौता वार्ता की पेशकश करने जमीयत प्रमुख मदनी से मिलने गए उत्तर प्रदेश के दानिशवरों की पहल पर उन्होंने कहा कि वह इसका हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं।
पुराने वकीलों को हटाने पर एतराज
मौलाना कासमी ने कहा कि अब जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अपने अंतिम चरण में पहुंच गयी है तो संदिग्ध मानसिकता के वकीलों को पैनल में ले आना बेहद ख़तरनाक और इंसाफ का क़त्ल कर देने जैसा है।
समझौता वार्ता हो, सौदेबाजी नहीं
मौलाना ने कहा कि अगर सुन्नी बोर्ड के चेयरमैन ने अपना रवैया नहीं बदला तो उन्हें बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन और धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उनका कहना है कि ख़ुफ़िया सौदेबाजी क़ौम के साथ बहुत बड़ी गद्दारी होगी, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।