loader

मथुरा विवाद: अदालत ने मंजूर की मस्जिद को हटाने वाली याचिका

मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में एक निचली अदालत ने उस याचिका को स्वीकार कर लिया है जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि यह मस्जिद कृष्ण जन्म भूमि पर बनी है। यह याचिका लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री की ओर से दायर की गई है। 

जबकि इससे पहले मथुरा की अदालत ने इस तरह की याचिका को पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था। 

इस मामले में कई हिंदू संगठनों की ओर से भी अदालत में तमाम याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं।

ताज़ा ख़बरें

याचिकाकर्ता के वकील गोपाल खंडेलवाल ने कहा है कि भगवान कृष्ण के उपासक के रूप में हमें उनकी संपत्ति की बहाली की मांग करने का हक है। उन्होंने कहा कि कई साल पहले संपत्ति के बंटवारे को लेकर एक समझौता हुआ था लेकिन वह समझौता पूरी तरह अवैध था।

कुछ दिन पहले दायर की गई एक याचिका में शाही ईदगाह मस्जिद को सील करने और वहां सुरक्षा तैनात करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मस्जिद के अंदर प्राचीन हिंदू अवशेषों को कोई नुकसान न हो। याचिका एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दायर की गई थी। 

उत्तर प्रदेश से और खबरें

वीडियोग्राफी की मांग

हाई कोर्ट के फैसले के बाद मथुरा की एक अदालत में याचिका दायर कर यह मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर शाही ईदगाह मस्जिद में वीडियोग्राफी कराई जाए। अदालत से यह भी मांग की गई थी कि शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने के लिए अदालत के द्वारा कमिश्नर की नियुक्ति की जाए। 

इस मामले में याचिका मनीष यादव की ओर से दायर की गई थी। मनीष यादव का कहना है कि मस्जिद के अंदर हिंदू धर्म से जुड़े तमाम प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं। यह बेहद अहम हैं और दूसरा पक्ष इन्हें हटा सकता है या नष्ट कर सकता है। 

हाई कोर्ट का फैसला

कुछ दिन पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा की एक अदालत से कहा है कि इस मामले में 4 महीने के भीतर सभी अर्जियों का निस्तारण कर दिया जाए। जस्टिस सलिल कुमार राय की एक सदस्य वाली बेंच ने यह आदेश मनीष यादव की ओर से दायर याचिका पर दिया था।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें