भाजपा आलाकमान एक तरफ तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रिमंडल के असंतुष्ट सहयोगियों के बीच समझौते की कोशिश में लगा हुआ है लेकिन असंतुष्ट सहयोगी योगी सरकार के लिए विधानसभा और विधान परिषद में भी मुश्किलें पेश कर रहे हैं। नजूल भूमि को लेकर योगी सरकार के विधेयक पर यही हुआ। विधान सभा द्वारा उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक पारित करने के ठीक दो दिन बाद, विधान परिषद में विरोध होने पर राज्य सरकार ने विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया है। यानी बिल एक तरह से ठंडे बस्ते में चला गया है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, सिद्धार्थनाथ सिंह और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी आदि ने इस विधेयक का जोरदार विरोध किया था।