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यूपी: आवारा गायें अगले चुनाव में बनेंगी बीजेपी की मुसीबत 

गाय और गंगा के नाम पर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश में सड़कों पर छुट्टा घूम रही गायें आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई हैं। अकेले बुंदेलखँड में बीते 3 साल से 2 लाख आवारा गायें सड़कों पर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सूखे के चलते चारे पानी की कमी होने पर इन्हें किसानों ने आवारा छोड़ दिया है। बुंदेलखँड में पालतू मवेशी को छुट्टा छोड़ने को 'अन्ना प्रथा' कहते हैं।

5 लाख से ज़्यादा गायें आवारा  

खुद प्रदेश सरकार के एक अनुमान के मुताबिक़, इस समय प्रदेश भर में 5 लाख से ज्यादा गाय और बैल सड़कों पर आवारा घूम रहे हैं और खेतों को नुक़सान पहुँचा रहे हैं। आवारा गायों से परेशान किसान जानवरों को सरकारी भवनों में क़ैद कर रहे हैं। क़ैद में हो रही गोवंश की मौत को लेकर सरकारी चाबुक चलने के डर से हलकान अलीगढ़ पुलिस ने तो अपने हर अधिकारी को आवारा गायें पालने का फरमान सुना दिया है। अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने हर अधिकारी से कम से कम एक आवारा गाय पालने को कह दिया है। प्रदेश की योगी सरकार को पार्टी के सांसद विधायक हर बैठक में आवारा पशुओं को लेकर किसानों व आम नागरिकों में फैले असंतोष को लेकर चेता रहे हैं और जल्द होने वाले लोकसभा चुनाव में इनसे होने वाले नुक़सान की बात कर रहे हैं। 

बीते सप्ताह मुख्यमंत्री योगी के घर हुई भाजपा सांसदों व विधायकों की बैठक में बुंदेलखंड के विधायकों ने साफ़ कह दिया कि गाय-बैल चुनाव में वोट नही देंगे बल्कि किसानों के वोट छीनेंगे। इससे बीजेपी अजीब स्थिति में फँस गई है।

आंवटित रक़म नहीं काफ़ी

आवारा गोवंश के लिए प्रदेश सरकार की ओर से आवंटित 160 करोड़ रुपये की रकम 16 नगर निगमों में ही खप जा रही है।  गाँवों, कस्बों में इस समस्या से निबटने के लिए कोई भी ठोस कार्यक्रम प्रदेश सरकार अब तक नहीं बना पाई है। प्रदेश सरकार के पास विभिन्न जिलों से जो आकलन भेजा गया है उसके मुताबिक़, एक छुट्टा गाय के चारे पर सालाना 2,200 रुपये का खर्च आएगा। इस हिसाब से आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए 1500 करोड़ रुपये की तुरंत ज़रूरत है। इसके अलावा हर नगर पालिका, पंचायत और नगर निगम में गौशालाओं के निर्माण के लिए पैसों की ज़रूरत है।

आवारा गाय किसानों की परेशानी का सबब 

लोकसभा चुनावों से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में आवारा गोवंश और खेती को हो रहा नुक़सान एक बड़ा मुद्दा बन गया है। प्रदेश के एक दर्जन ज़िलों में परेशान किसानों ने आवारा गाय-बैल सरकारी भवनों में लाकर बंद कर दिए हैं। कई जगहों में गांवों से आवारा जानवरों को खदेड़ कर किसानों ने शहरों में भेज दिया है। आवारा जानवरों को सरकार दफ्तरों में क़ैद करने पर आमादा किसानों की कई जगहों पर पुलिस से नोंक-झोंक भी हुई है। 

मथुरा जिले के रय्या कस्बे में बीते सप्ताह किसानों ने सैकड़ों जानवरों को सरकारी स्कूलों में बंद कर दिया था। शनिवार को इसी ज़िले के महावन तहसील में प्राइमरी स्कूल में किसानों ने 150 आवारा गावों को पकड़ कर क़ैद कर दिया। भूख प्यास से इनमें से छह गायें मर गईं। इसके बाद प्रशासन ने किसी तरह किसानों को समझा कर गायों को बाहर निकाला। हाथरस में किसानों ने सादाबाद के गांव नगला बीरबल में 100 आवारा पशुओं को स्कूल में बंद कर रखा है। इस वजह से बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई है। आगरा के एत्मादपुर में भी सरकारी स्कूल में बीते चार दिन से किसानों ने आवारा जानवरों को क़ैद कर रखा है। 

आवारा गाय-बैल को पकड़ कर लोग सरकारी स्कूल परिसरों में बंद कर दे रहे हैं, जिससे पढ़ाई-लिखाई ठप हो जा रही है। यह बेमतलब की समस्या है, जो बैठे बिठाए ख़ुद बना ली गई है और प्रशासन इस ओर कोई ध्या नहीं दे रहा है।

गायों को अधिकारी के दफ़्तर में ख़देड़ा

वहीं हरदोई में किसानों ने आवारा गाय बैल पकड़ कर गांवों के पंचायत भवनों में क़ैद कर दिया है। अफसरों और पुलिस के समझाने व समस्या का हल निकालने के आश्वासन पर किसानों ने किसी तरह जानवरों को छोड़ दिया। बलरामपुर ज़िले में आवारा गोवंश से परेशान किसानों ने बीते सप्ताह इन्हें खदेड़ कर ज़िला अधिकारी के दफ़्तर पर पहुंचा दिया था। भारतीय किसान यूनियन के हरिनाम सिंह का कहना है कि सरकार ने कड़ाई कर गाय-बैल की बिक्री तो बंद करा दी, पर उनके लिए गौशालाएं नहीं खुलवाई हैं। उनका कहना है कि लगातार एलान के बाद आज तक ज़िलों और शहरों को छोड़ गांवों मे आवारा जानवरों के रखने का कोई इंतजाम नही किया गया है। 

बलरामपुर जिले के किसान नेता कर्ण सिंह कहते हैं कि रबी के पीक सीजन में किसान कड़ाके की ठंड में अपनी रातें आवारा जानवरों से खेतों व फ़सल को बचाते हुए काट रहे हैं। किसानों के आवारा गायों को सरकारी भवनों में बंद करने पर उनका कहना है कि बहुत मजबूरी में किसान यह कर रहे हैं, जब कोई चारा नहीं बचा है। प्रदेश भर से इस तरह की घटनाओं को लेकर चिंतित प्रदेश सरकार ने ज़िलाधिकारियों को आवारा गौवंश की व्यवस्था करने के निर्देश देने के साथ ही तेज़ी से गोशालाएँ बनाने को कहा है। प्रदेश सरकार गौशालाओं के निर्माण के लिए 160 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि बड़ी तादाद में आवारा गाय, बैलों को देखते हुए यह रकम काफ़ी नही है।

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क़मर वहीद नक़वी
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