उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में पिछले सप्ताह दो गाँवों के कई मंदिरों की दीवारों पर मिले "आई लव मोहम्मद" (graffiti) को लेकर हुए विवाद के मामले को पुलिस ने गहन जांच के बाद सुलझा लिया। इस मामले में चार लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, जिन्होंने कथित तौर पर ज़मीन विवाद में अपने प्रतिद्वंद्वियों को झूठा फँसाने के लिए यह हरकत की थी। लेकिन यह घटना इसलिए महत्वपूर्ण है कि यूपी में आई लव मुहम्मद को लेकर जबरन तनाव फैलाया गया। नेताओं ने आपत्तिजनक भाषण दिए। कई शहरों में हिंसा की घटनाएं हुईं। लेकिन अलीगढ़ की घटना ने किसी और भी तरफ इशारा किया है।
अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) नीरज कुमार ने पत्रकारों को बताया कि गिरफ़्तार किए गए लोगों की पहचान दिलीप कुमार, आकाश, अभिषेक सारस्वत और निशांत कुमार के रूप में हुई है। अधिकारी ने बताया कि एक अन्य आरोपी राहुल, जो कथित तौर पर मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है, फ़रार है। हालांकि इससे पहले पुलिस ने इसी मामले में 25 अक्टूबर को मौलवी मुस्तकीम, गुल मोहम्मद, सुलेमान, सोनू, अल्लाबख्श, हसन, हामिद और यूसुफ के खिलाफ मामला दर्ज करके गिरफ्तार किया था। लेकिन अब उन्हें छोड़ा जा रहा है। 

कैसे खुला यह मामला

पुलिस ने गहन जांच के दौरान दीवार पर लिखे आई लव मुहम्मद में गलती पकड़ कर इस मामले को सुलझाया। पुलिसकर्मियों को "I love Muhammad" नारे की स्पेलिंग (वर्तनी) पिछले महीने बरेली में लगे उन बैनरों से अलग लग रही थी, जिन्होंने यूपी के कई शहरों में तनाव पैदा किया था। द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद पुलिस ने असली अपराधियों को पकड़ने के लिए सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड और फील्ड इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया। पुलिस ने पाया कि इस साजिश में दिलीप कुमार, आकाश, अभिषेक सारस्वत और निशांत कुमार शामिल थे। पुलिस ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से चार परिवारों के बीच दो अलग-अलग संपत्ति विवादों से जुड़ा हुआ है।
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पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने पिछले शनिवार को लोढ़ा क्षेत्र के भगवानपुर और बुलाकीगढ़ गाँवों में मंदिर की दीवारों पर कई जगह उत्तेजना फैलाने के लिए आई लव मुहम्मद लिखा। इसका दोष अपने विरोधियों पर डालने का झूठा माहौल बनाने की कोशिश की। एसएसपी ने कहा, "जांच में पता चला कि आरोपियों ने उन आठ लोगों को झूठा फँसाने के लिए यह लिखने की साजिश रची, जिनके साथ उनका ज़मीन विवाद चल रहा था। वे अपने मुस्लिम प्रतिद्वंद्वियों को तनाव भड़काने के लिए जिम्मेदार ठहराना चाहते थे।" 25 अक्टूबर को पुलिस को इस मामले की जानकारी मिली और वह गाँव पहुँची। पुलिस ने उस समय मौलवी मुस्तकीम, गुल मोहम्मद, सुलेमान, सोनू, अल्लाबख्श, हसन, हामिद और यूसुफ के खिलाफ मामला दर्ज किया। लेकिन जांच आगे बढ़ने के साथ ही झूठ का पर्दाफाश हो गया।
एसएसपी ने कहा, "पहले मामले में, राहुल का गुल मोहम्मद के परिवार के साथ लंबे समय से संपत्ति विवाद चल रहा था, जिसके कारण पिछले साल झड़प भी हुई थी। दूसरा विवाद मुस्तकीम के परिवार और निशांत कुमार के परिवार के बीच था।" पुलिस ने आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की संबंधित धाराओं और आपराधिक कानून संशोधन (CLA) अधिनियम की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया है।

यूपी में बढ़ती साम्प्रदायिक घटनाएं  

अभी हाल ही में आगरा में भारत हिंदू महासभा के चार नेता (संजय जाट, सौरभ शर्मा, बृजेश भदोरिया, जितेंद्र कुशवाहा) ने अपने दुश्मन गुट को फंसाने के लिए मुस्लिम व्यक्ति को पैसे देकर रामनवमी पर गाय की हत्या कराई, ताकि मुस्लिमों को बदनाम किया जा सके। आगरा पुलिस ने जांच में साजिश पकड़ी और चारों नेताओं को गिरफ्तार किया। आरोपी ने कबूल किया कि यह हिंदू समूहों के बीच दुश्मनी के लिए रची गई थी।
आई लव मुहम्मद विवाद यूपी से ही शुरू हुआ था। कानपुर में बारावफात पर मुस्लिम युवकों ने एक जगह आई लव मुहम्मद का बैनर लगाया। हिन्दू संगठन और भाजपा के नेता थाने पहुंचे और उस बैनर पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह नई परंपरा है। पुलिस से कार्रवाई को कहा गया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आई लव मुहम्मद का बैनर लगाने वाले मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार कर लिया। सोशल मीडिया पर यह बात जैसे बाहर आई, लोग उस पर आपत्ति जताने लगे। यहां तक की विदेशों से भी प्रतिक्रिया हुई कि भारत में आई लव मुहम्मद बोलने-लिखने पर पाबंदी है। इसी बीच एक और घटना हुई, उस पोस्टर को रहस्यमय ढंग से फाड़ा गया। इस घटना के बाद पुलिस का बयान आया कि उन्होंने उन मुस्लिम युवकों को हिन्दू संगठनों के पोस्टर फाड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। 
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देशभर में आई लव मुहम्मद के मुद्दे पर प्रदर्शन शुरू हो गए। यूपी के तमाम शहरों और लखनऊ में विधानसभा के सामने प्रदर्शन हुआ। इसी बीच बरेली में मौलाना तौकीर रजा खां के बयान और प्रदर्शन की पहल के दौरान हिंसा हुई। पुलिस ने मौलाना गिरफ्तार कर लिया। मौलाना और उनके परिवार के लोगों के घर और अन्य संपत्तियों पर बुलडोज़र चला दिए गए। शहर में कुछ मुस्लिमों की दुकानों को भी बुलडोज़र से तोड़ दिया गया। इस दौरान राजनीतिक लोगों ने आपत्तिजनक बयानबाजी की। विपक्ष के नेताओं को बरेली जाने से रोक दिया गया। बरेली में अब जैसे तैसे शांति लौटी है। लेकिन आई लव मुहम्मद की आड़ में लोगों की शरारत जारी है। जिसकी ताजा मिसाल अलीगढ़ की घटना है।