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लॉकडाउन, लेकिन 'द वायर' के संपादक को यूपी पुलिस ने 14 अप्रैल को अयोध्या बुलाया

उत्तर प्रदेश सरकार  ने 'द वायर' के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन को आदेश दिया है कि वह 14 अप्रैल को अयोध्या पहुँच वेबसाइट पर प्रकाशित एक ख़बर पर अपनी सफ़ाई दें। 
योगी आदित्यनाथ सरकार ने यह आदेश ऐसे समय दिया है जब पूरे देश में लॉकडाउन है, सबसे घर के अंदर रहने को कहा गया है और हर तरह का परिवहन बंद कर दिया गया है। 
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क्या है मामला?

वरदराजन को यह नोटिस उस खबर पर दी गई है जिसमें यह कहा गया था कि योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि 'भगवान राम भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।' 
अगले ही दिन सिद्धार्थ वरदराजन ने ट्वीट कर इसे सुधारा और कहा था कि यह मुख्यमंत्री ने नहीं कहा, अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख आचार्य परमहंस ने ऐसा कहा है। खबर में भी इसे सुधार दिया गया था।
समाजविज्ञानी और वरदराजन की पत्नी नदंनी सुंदर ने कहा कि यूपी पुलिस की एक टीम शुक्रवार को उनके घर पहुँच कर उन्हें नोटिस थमा गई।
उन्होंने इस पर गुस्सा जताया कि लॉकडाउन के बावजूद पुलिस ने वरदराजन को अयोध्या बुलाया है। 

क्या कहना है यूपी पुलिस का?

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी ख़बर में कहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के लोगों के साथ दिल्ली पुलिस का एक आदमी भी वरदराजन के घर गया था। ख़बर के मुताबिक़, अयोध्या के सर्कल अफ़सर अमर सिंह ने इसकी पुष्टि की है।
अयोध्या के थाना प्रभारी सुरेश पांडेय ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 

'मैंने द वायर के संपादक से फ़ोन पर बात की है और उनसे कहा है कि वह अपना बयान ई-मेल से भेज दें। वह अपना बयान कल तक भेजने को राज़ी हो गए हैं।'


सुरेश पांडेय, थाना प्रभारी, अयोध्या

वरदराजन ने 1 अप्रैल को अपने बयान में कहा था, 'एफ़आईआर में जो कहा गया है कि मैंने यह कहा था कि प्रधानमंत्री की ओर से लॉकडाउन का एलान होने के बाद मुख्यमंत्री ने एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लिया था, यह रिकॉर्ड का मामला है।'
एडिटर्स गिल्ड ने एफ़आईआर दर्ज होने के बाद कहा था कि ऐसे समय में यह मामला दर्ज करना मीडिया को डराने की कोशिश करना है।
गिल्ड ने यह भी कहा है कि इस तरह मीडिया को डराने की कोशिश या प्रवासी मज़दूरों के बड़े पैमाने पर पलायन के लिए मीडिया को ज़िम्मेदार ठहराने का नतीजा उल्टा होगा।  
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क़मर वहीद नक़वी
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