जिन मलयालम पत्रकार सिद्दीक कप्पन को उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक साल से जेल में बंद रखा है उनका आख़िर गुनाह क्या है? एक साल में पुलिस आख़िर क्या साबित कर पाई? इसकी मिसाल चार्जशीट में देखी जा सकती है। यूपी एसटीएफ़ की चार्जशीट में कहा गया है कि सिद्दीक कप्पन ने मुसलिमों को पीड़ित बताया, मुसलिमों को भड़काया, वामपंथियों व माओवादियों से सहानुभूति जताई। 5000 पन्ने की चार्जशीट में कप्पन द्वारा मलयालम मीडिया में लिखे गए उन 36 लेखों का हवाला दिया गया है जो कोरोना संकट के बीच निजामुद्दीन मरकज, सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन, उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा, अयोध्या में राम मंदिर और राजद्रोह केस में जेल में बंद शरजील इमाम के आरोप-पत्र को लेकर लिखे गए हैं।