जिन मलयालम पत्रकार सिद्दीक कप्पन को उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक साल से जेल में बंद रखा है उनका आख़िर गुनाह क्या है? एक साल में पुलिस आख़िर क्या साबित कर पाई? इसकी मिसाल चार्जशीट में देखी जा सकती है। यूपी एसटीएफ़ की चार्जशीट में कहा गया है कि सिद्दीक कप्पन ने मुसलिमों को पीड़ित बताया, मुसलिमों को भड़काया, वामपंथियों व माओवादियों से सहानुभूति जताई। 5000 पन्ने की चार्जशीट में कप्पन द्वारा मलयालम मीडिया में लिखे गए उन 36 लेखों का हवाला दिया गया है जो कोरोना संकट के बीच निजामुद्दीन मरकज, सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन, उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा, अयोध्या में राम मंदिर और राजद्रोह केस में जेल में बंद शरजील इमाम के आरोप-पत्र को लेकर लिखे गए हैं।
कप्पन का गुनाह- मुसलिमों को पीड़ित बताया, भड़काया: एसटीएफ़ चार्जशीट
- उत्तर प्रदेश
- |
- 1 Oct, 2021
पिछले साल 5 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के हाथरस में जाने के दौरान गिरफ़्तार किए गए मलयालम पत्रकार सिद्दीक कप्पन का आख़िर कसूर क्या है? जानिए, यूपी पुलिस की चार्जशीट में क्या आरोप लगाए गए हैं।

चार्जशीट में किस तरह के आरोप लगाए गए हैं उसका एक नमूना वह भी है जिसमें उनके एक लेख की कुछ लाइनों का ज़िक्र है। इन लेखों में से एक, जिसे एएमयू में सीएए के विरोध के दौरान लिखा गया था, का उल्लेख करते हुए नोट में कहा गया है, 'लेखन में, उन मुसलमानों को पीड़ितों के रूप में पेश किया गया है जिन्हें पुलिस ने पीटा था और जिन्हें पाकिस्तान जाने के लिए कहा गया था। लेखन से साफ़ है कि यह मुसलमानों को भड़काने के लिए किया गया है।'