वाराणसी में काँवड़ यात्रा के दौरान कथित तौर पर मुस्लिम लड़की से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। लेकिन जानिए, क्यों आख़िर पीड़िता परिवार के ख़िलाफ़ ही एफ़आईआर दर्ज की गई।
प्रतीकात्मक तस्वीर
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पुलिस कार्रवाई का एक अजीबोगरीब मामला आया है। एक 16 वर्षीय मुस्लिम लड़की ने कांवड़ियों के एक समूह पर छेड़छाड़ और उत्पीड़न का आरोप लगाया, लेकिन इसके उलट पुलिस ने पीड़िता और उसके परिवार के खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस का दावा है कि लड़की का आरोप 'पूरी तरह झूठा' है और असल में कांवड़िया ही हमले का शिकार हुआ। इस घटना ने पुलिस की निष्पक्षता और स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह घटना 28 जुलाई 2025 को वाराणसी के राजातालाब क्षेत्र में रानी बाजार के पास दोपहर करीब 3:30 बजे की है। पीड़िता के परिवार के अनुसार, 16 वर्षीय लड़की अपनी दादी के साथ अपने भाई की जूते की दुकान में थी। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान भगवा कपड़े पहने और 'बोल बम' के नारे लगाते हुए दो से तीन काँवड़िए आए और दुकान में घुस आए। परिवार का दावा है कि कांवड़ियों ने लड़की के साथ अश्लील टिप्पणियाँ कीं, छेड़छाड़ की और उसका पीछा किया। जब लड़की ने विरोध किया और दुकान से भागकर अपने घर की ओर गई, तो एक काँवड़िया कथित तौर पर उसके पीछे घर तक पहुँच गया।
रिपोर्ट के अनुसार, लड़की की दादी और परिवार के अन्य सदस्यों ने हस्तक्षेप किया। इसके बाद स्थानीय लोगों ने काँवड़िया को पकड़ लिया और उसकी पिटाई कर दी। परिवार का कहना है कि इस दौरान कांवड़िया अश्लील इशारे करता रहा। इसके बाद कांवड़ियों का एक बड़ा समूह और विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी जैसे हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता मौक़े पर जमा हो गए। उन्होंने 'जय श्री राम' के नारे लगाए और रानी बाजार में क़रीब एक किलोमीटर तक सड़क जाम कर दी। स्थानीय लोगों के अनुसार, कुछ कांवड़ियों ने डंडे और लाठियां लहराईं।
पुलिस की कार्रवाई
घटना के अगले दिन यानी 29 जुलाई को राजातालाब पुलिस ने एक FIR दर्ज की, लेकिन यह काँवड़िये की शिकायत पर पीड़िता के परिवार और स्थानीय मुस्लिम समुदाय के सात लोगों के खिलाफ थी। पुलिस का दावा है कि सड़क पर 'बोल बम' के नारे लगा रहे कांवड़िये को दुकान पर बुलाया गया, उसके साथ मारपीट की गई और उसे पीड़िता के घर में खींचकर ले जाकर जबरन धर्म परिवर्तन की धमकी दी गई। पुलिस ने लड़की के छेड़छाड़ के आरोप को झूठा करार दिया।
परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उन मुस्लिम दुकानदारों को धमकी दी, जिन्होंने लड़की के पक्ष में गवाही देने की कोशिश की।
CCTV फुटेज और परिवार के दावे
पीड़िता के परिवार ने दावा किया कि उनके पास दुकान के बाहर का सीसीटीवी फुटेज है, जिसमें साफ दिख रहा है कि लड़की डरकर दुकान से भाग रही है और एक भगवा वस्त्र पहने व्यक्ति उसका पीछा कर रहा है, जिसके पीछे कई अन्य लोग भी हैं। परिवार ने यह फुटेज द वायर जैसे कुछ मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया है। परिवार का कहना है कि पुलिस ने इस सबूत को पूरी तरह नजरअंदाज किया और कांवड़िया की शिकायत को ही आधार बनाया।
द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि लड़की भागती हुई दिखाई दे रही है और भगवा वस्त्र पहने एक व्यक्ति उसका पीछा कर रहा है, जिसके पीछे कई अन्य लोग भी हैं। राजातालाब के एसीपी अजय कुमार श्रीवास्तव ने द वायर को बताया कि कांवड़िये को परेशान करने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है। लड़की के परिवार के आरोपों और दावों के बारे में पूछे जाने पर श्रीवास्तव ने पहले तो कहा कि उनके आरोप 100% गलत हैं और फिर कहा कि पुलिस मामले की जाँच करेगी। वाराणसी पुलिस आयुक्तालय ने एक बयान जारी कर कहा कि स्थिति नियंत्रण में है और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
घटना के बाद विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने रानी बाजार में प्रदर्शन किया। उन्होंने कांवड़िया के समर्थन में नारे लगाए और पुलिस से कड़ी कार्रवाई की मांग की। वीएचपी के स्थानीय नेता राकेश पांडे को पुलिस ने कुछ देर के लिए हिरासत में लिया, लेकिन बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। स्थानीय मुस्लिम समुदाय का कहना है कि इन संगठनों की गतिविधियों ने क्षेत्र में डर का माहौल पैदा किया है। परिवार का कहना है कि जब लड़की के उत्पीड़न के बारे में कुछ हिंदू पड़ोसियों ने बोलने की कोशिश की तो उनको भी कांवड़ियों ने धमकी दी।
इस घटना ने उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव और पुलिस की भूमिका पर नई बहस छेड़ दी है। एक्स पर कई पोस्टों में इस घटना को 'न्याय का मखौल' बताया गया। एक यूजर ने लिखा, 'वाराणसी में एक मुस्लिम लड़की के साथ छेड़छाड़ होती है, लेकिन पुलिस उल्टा उसके परिवार को जेल में डाल देती है। यह कैसा इंसाफ है?' कई लोगों ने सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक करने और कांवड़िया के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
पीड़िता के परिवार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी एनएचआरसी में ऑनलाइन शिकायत दर्ज की है, जिसमें पुलिस की कार्रवाई और कांवड़िया के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है। परिवार ने यह भी कहा कि वे अपने वकील के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं। परिवार का कहना है कि उनकी बेटी को न केवल उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, बल्कि अब उन्हें सरकारी दबाव और सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ रहा है।