उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। हाल ही में गोंडा जिले में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स यानी आरपीएफ की कस्टडी में 35 वर्षीय दलित युवक संजय कुमार सोनकर की संदिग्ध मौत ने पूरे राज्य में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। उधर, बुलंदशहर के अहमदगढ़ थाना क्षेत्र में दलित जनप्रतिनिधि और पूर्व प्रधान मुकेश खटीक की निर्मम हत्या ने परिवार को दोहरी त्रासदी में डुबो दिया है। एक साल पहले उनके बेटे की हत्या के बाद भी पुलिस की लापरवाही का आरोप लग रहा है। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार देते हुए सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सवाल उठ रहा है कि क्या उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार बढ़ रहा है? 

'टॉर्चर देकर मारा गया, तीन सस्पेंड'

गोंडा जिले के किंकी गांव निवासी संजय कुमार सोनकर को 4 नवंबर को सरसों के तेल की चोरी के आरोप में आरपीएफ़ ने हिरासत में लिया। परिवार का आरोप है कि पूछताछ के दौरान सब-इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार, सब-इंस्पेक्टर करण सिंह यादव और कांस्टेबल अमित कुमार यादव ने उन्हें बुरी तरह पीटा और इलेक्ट्रिक शॉक दिया। संजय की हालत बिगड़ने पर उन्हें गोंडा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी अस्पष्ट है, लेकिन विसेरा फोरेंसिक जाँच के लिए सुरक्षित कर लिया गया है।
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संजय के भाई राजू सोनकर ने हत्या की तहरीर दी। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार आरपीएफ़ के डीआईजी चंद्र मोहन मिश्रा ने बताया, 'तीनों कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। तीन सदस्यीय कोर्ट ऑफ़ इंक्वायरी गठित की गई है।' आरपीएफ़ का दावा है कि संजय की हालत पूछताछ के दौरान अचानक बिगड़ी, लेकिन परिवार ने शव को मोर्चरी में छोड़कर भागने का भी आरोप लगाया। गाँव में विरोध प्रदर्शन हुए, जहाँ ग्रामीणों ने 'दलितों पर अत्याचार बंद करो' के नारे लगाए। संजय मजदूर थे और तीन बच्चों के पिता थे। यह घटना कस्टोडियल डेथ के बढ़ते मामलों की याद दिलाती है, जहाँ दलित पीड़ितों को न्याय मिलना मुश्किल होता है।

बुलंदशहर: पूर्व प्रधान की हत्या

बुलंदशहर के अहमदगढ़ थाना क्षेत्र के एक गांव में 3 नवंबर को पूर्व सरपंच मुकेश खटीक की हत्या का आरोप लगाया गया है। घटना के समय वे अपने खेत पर थे। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है, लेकिन परिवार का कहना है कि यह पुरानी रंजिश का नतीजा है। खास बात यह है कि लगभग एक साल पहले उनके बेटे की भी हत्या हो चुकी थी, जिसकी जांच में प्रगति न होने से परिवार न्याय के इंतजार में था।
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भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने एक्स पर पोस्ट कर इसकी निंदा की, '3 नवंबर 2025 को उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के थाना अहमदगढ़ क्षेत्र के एक गांव में दलित जनप्रतिनिधि एवं पूर्व प्रधान मुकेश खटीक जी की निर्मम हत्या अत्यंत दुखद और दण्डनीय है। सबसे शर्मनाक और पीड़ादायक बात यह है कि लगभग एक वर्ष पूर्व उनके बेटे की हत्या के बावजूद पुलिस प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। न्याय की उम्मीद में जी रहे उसी परिवार के मुखिया की हत्या ने अब पूरे परिवार को एक और शोक में डुबो दिया है।'

चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि यह घटना उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की विफलता का स्पष्ट प्रमाण है। उन्होंने यूपी सरकार के सामने चार मांगें रखी हैं-
  • हत्यारों को तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए।
  • बेटे और पिता दोनों हत्याओं की निष्पक्ष जांच हो।
  • परिवार को सुरक्षा, सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
  • थाने स्तर पर लापरवाही करने वाले पुलिस अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई हो।

मुकेश खटीक दलित समुदाय के प्रमुख नेता थे और गांव में सामाजिक कार्यों के लिए जाने जाते थे। उनकी हत्या के बाद गांव में शोक सभा हुई जहां सैकड़ों लोग जुटे। विपक्षी दलों ने इसे योगी सरकार की नाकामी बताया।
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यूपी में दलित उत्पीड़न के मामले चिंताजनक

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के अनुसार, 2023 में उत्तर प्रदेश में एससी के खिलाफ कुल 15 हज़ार 130 मामले दर्ज किए गए। यह भारत में एससी के खिलाफ कुल 57 हज़ार 789 मामलों में से लगभग 26% है, जो राज्य को इस श्रेणी में शीर्ष पर रखता है।

हाल की कुछ प्रमुख घटनाएँ

  • एटा में मई 2025 में 10 वर्षीय दलित बालक अनुज की चाकू मारकर हत्या; आंखें फोड़ दीं, गुप्तांग काटे। दोस्तों ने हमलावर को देखा। 
  • रामपुर में अप्रैल 2025 को 11 वर्षीय दलित बालिका पर 24 वर्षीय दान सिंह का हमला; तीन दिन तक बेहोश रही। 
  • सुल्तानपुर में मई 2025 में 15 वर्षीय दलित बालिका के साथ गैंगरेप; स्कूल जाते समय अपहरण। कांग्रेस ने सीएम पर निशाना साधा।
  • रायबरेली में अक्टूबर 2025 को दलित युवक हरिओम को चोरी के संदेह में पीट-पीटकर मार डाला; 5 गिरफ्तार, 3 पुलिसकर्मी सस्पेंड हुए।
  • मैनपुरी में सितंबर 2025 को 14 वर्षीय दलित बालिका के साथ दो लोगों ने गैंगरेप किया। 
  • प्रयागराज में सितंबर 2025 में दलित युवक पर तलवार से हमला; घर के बाहर शराब पीने पर आपत्ति जताई थी। 
  • अमरोहा में सितंबर 2025 में दलित युवक को घर के बाहर शराब पीने पर तलवार से घायल किया।
  • इटावा में जून 2025 में बहुजन समुदाय के सदस्यों पर हमला; बाल कटवाए, पेशाब से अपमानित किया गया। 
  • रसरा (बलिया) में जून 2025 में दलित परिवार पर शादी समारोह में हमला; विवाह हॉल के इस्तेमाल पर जातिसूचक अपशब्द।

जानकारों का कहना है कि रिपोर्टेड केस वास्तविकता का केवल 25-30% हैं, क्योंकि कई पीड़ित डर से शिकायत नहीं करते। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पहले कहा था कि 'यूपी दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों के लिए नर्क बन गया है।' बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कार्रवाई हो रही है। सरकार ने एससी/एसटी एक्ट के तहत विशेष सेल बनाए हैं, लेकिन प्रभावी क्रियान्वयन की कमी है। पीड़ित परिवारों को मुआवजा और सुरक्षा देने की मांग तेज हो रही है।