अंकिता भंडारी हत्याकांड के फिर से सुर्खियों में आने से उत्तराखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कथित ‘वीआईपी’ के नाम सामने आने के बाद धामी सरकार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
अंकिता भंडारी हत्यकांड। (फाइल फोटो)
तीन साल पहले उत्तराखंड को झकझोर देने वाले अंकिता भंडारी हत्याकांड के अनसुलझे राज अब खुलकर सामने आ रहे हैं। इस मामले को 'उत्तराखंड की एप्सटीन फाइल्स' कहकर चर्चा हो रही है, जहां बड़े-बड़े नेताओं पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लगे हैं। हाल ही में बीजेपी के पूर्व विधायक सुरेश राठौर और उर्मिला सनावर के बीच सोशल मीडिया पर हुई बहस ने इस केस को नया मोड़ दे दिया है। खुद को सुरेश राठौर की पत्नी बताने वाली उर्मिला ने दावा किया है कि अंकिता पर 'स्पेशल सर्विस' के लिए दबाव डालने वाला 'वीआईपी' कोई और नहीं, बल्कि बीजेपी के नेता थे। उन्होंने बीजेपी के केंद्रीय महासचिव समेत कई पदाधिकारियों पर भी घिनौने कृत्य के आरोप लगाए हैं। हालाँकि, सुरेश राठौर और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम उर्फ गट्टू ने इन आरोपों को खारिज किया है। इस खुलासे से राज्य की राजनीति में हड़कंप मच गया है और धामी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि वह क्यों चुप है?
ऐसे आरोपों के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम ने राज्य सरकार से अपील की है कि सोशल मीडिया पर चल रहे कुछ ऑडियो और वीडियो हटाए जाएं जो उन्हें इस हत्याकांड से जोड़ते हैं। गौतम का कहना है कि यह सब उनकी छवि खराब करने की साजिश है। उन्होंने इस मामले में गुरुवार को उत्तराखंड के गृह सचिव शैलेश बगोली को चिट्ठी लिखी।
अंकिता भंडारी हत्याकांड मामला क्या?
अंकिता भंडारी उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक छोटे से गांव की 19 साल की लड़की थीं। घर की गरीबी दूर करने का सपना लेकर वह 2022 में पहाड़ों से नीचे उतरी और ऋषिकेश के पास यमकेश्वर ब्लॉक में वनंतरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करने लगीं। महीने का वेतन सिर्फ 10 हजार रुपये था। नौकरी शुरू हुए अभी 15 दिन भी नहीं हुए थे कि रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने अंकिता पर दबाव डाला कि वह एक 'वीआईपी' गेस्ट को 'स्पेशल सर्विस' दें। अंकिता ने इनकार कर दिया। उसने अपने दोस्त पुष्पदीप को व्हाट्सएप पर और रिसॉर्ट के साथी विवेक आर्य को बताया कि उसे जान का ख़तरा है। पुलकित आर्य बीजेपी के पूर्व मंत्री विनोद आर्य के बेटे हैं।
18 सितंबर 2022 को अंकिता का फ़ोन बंद हो गया और वह लापता हो गई। छह दिन बाद 24 सितंबर को पास की चिल्ला नहर से उसकी सड़ी-गली लाश मिली। जाँच में पता चला कि पुलकित आर्य ने अपने दो साथियों रिसॉर्ट मैनेजर सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर अंकिता पर हमला किया और उसे नहर में धकेल दिया, जहाँ डूबने से उसकी मौत हो गई। लेकिन इसके बाद जो हुआ, वह न्याय की बजाय सबूत मिटाने की कोशिश लगता है। रिसॉर्ट के उस हिस्से को आधी रात में बुलडोजर से तोड़ दिया गया जहां अंकिता रहती थीं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और तत्कालीन पुलिस प्रमुख ने ट्वीट कर कहा था कि उन्होंने 'त्वरित न्याय' कर दिया है। लेकिन सवाल यह है कि अगर सबूत मिटाए गए तो असली न्याय कैसे होगा?
'वीआईपी' का नाम छिपाया गया?
शुरू में मामला पुलिस को सौंपा गया, लेकिन लोगों के गुस्से के बाद एसआईटी बनाई गई। दिसंबर 2022 में 500 पेज की चार्जशीट दाखिल हुई, जिसमें 'वीआईपी' का ज़िक्र तो कई जगह आया, लेकिन उसका नाम पता करने की कोशिश नहीं की गई। अंकिता की मां ने 'वीआईपी' का नाम बताया था, लेकिन एसआईटी ने उनसे पूछताछ तक नहीं की।
30 मई 2025 को कोटद्वार की अदालत ने पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। आरोपियों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में अपील की है। लेकिन 'वीआईपी' का नाम अब तक गुप्त रहा। सामाजिक संगठनों ने लगातार मांग की कि 'वीआईपी' को सामने लाओ और सजा दो। सुप्रीम कोर्ट के वकील कॉलिन गोंसाल्विस ने भी आवाज़ उठायी।उर्मिला सनावर ने तोड़ा सन्नाटा
दो दिन पहले सोशल मीडिया पर भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर और उर्मिला सनावर के बीच झगड़ा हुआ। उर्मिला ने एक वीडियो में खुलासा किया कि 'वीआईपी' दुष्यंत कुमार गौतम हैं, जो बीजेपी के बड़े नेता हैं। उन्होंने कहा कि गौतम अकेले नहीं थे– भाजपा के एक और केंद्रीय महासचिव और कई पदाधिकारी भी इसमें शामिल थे। उर्मिला ने यह भी बताया कि अंकिता के कमरे पर बुलडोजर चलवाने वाली महिला का नाम भी उन्हें पता है। साथ ही, उन्होंने कई नेताओं पर यौन दुराचार के आरोप लगाए। इस वीडियो से राज्य में सनसनी फैल गई।इस खुलासे के बाद सत्ता में हलचल मच गई है। कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में सीबीआई जांच हो। उन्होंने 4 जनवरी तक मांग पूरी करने का अल्टीमेटम दिया, वरना राज्यव्यापी आंदोलन होगा।
धामी सरकार पर सवाल
धामी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि 'वीआईपी' कौन है, सरकार क्यों मौन है? लोग कह रहे हैं कि सरकार लीपापोती कर रही है। सबूतों से छेड़छाड़ का मामला क्यों नहीं जांचा गया? भारतीय दंड संहिता के मुताबिक़, सबूत मिटाना खुद एक बड़ा अपराध है। अगर अपराधी निर्दोष थे तो सबूतों से डर क्यों? और वह जमीन, जो आयुर्वेदिक दवाओं के लिए ली गई थी, उस पर रिसॉर्ट कैसे बन गया?
यह केस सिर्फ हत्या का नहीं, बल्कि यौन शोषण और सत्ता के दुरुपयोग का है। अंकिता ने अपनी इज्जत बचाने की कोशिश की, लेकिन उसे जान देकर कीमत चुकानी पड़ी। उर्मिला के आरोप बताते हैं कि सत्ता के ऊपरी लोग इसमें शामिल हो सकते हैं। 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा देने वाली सरकार ने बेटी की अस्मिता बचाने में क्या किया? इस घटना से राज्य में तनाव बढ़ गया है। आगे जांच होगी या नहीं, यह देखना बाकी है।