सरकार ने प्रस्तावित यूसीसी का विवरण किसी के साथ साझा नहीं किया है, लेकिन काफी हद तक यह माना जाता है कि इसका उद्देश्य हिंदुओं और मुसलमानों के लिए विवाह, तलाक और विरासत की व्यवस्था को एक समान बनाना है। मुसलमान व्यक्तिगत मामलों में शरिया कानून का पालन करते हैं और अपने सामाजिक रीति-रिवाजों में किसी भी सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करते हैं।
सूत्रों ने कहा- “चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, तलाक के मामले में हिंदू और मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार होंगे। हलाला और इद्दत की प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।”