उत्तराखंड के एक गांव में मंगलवार को बादल फटने से भूस्खलन और अचानक बाढ़ आ गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई लोग लापता हैं। यह बादल फटना खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में हुआ।
सोशल मीडिया पर सामने आए भयावह दृश्यों में दिखा कि उत्तरकाशी के थराली गांव की ओर पहाड़ से पानी का तेज बहाव आ रहा है, जो कई घरों को बहा ले गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने वीडियो साझा किए, जिनमें लोगों को डर से चीखते हुए सुना जा सकता है।
उत्तरकाशी पुलिस ने तबाही की तस्वीरें साझा करते हुए लोगों से नदियों से सुरक्षित दूरी बनाए रखने की अपील की। पुलिस ने कहा, "इस घटना के मद्देनजर, सभी को नदियों से सुरक्षित दूरी बनाए रखनी चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप, बच्चे और पशु नदी से सुरक्षित दूरी पर रहें।"
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राहत टीमें बचाव कार्यों में जुटी हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, "उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में बादल फटने से हुए भारी नुकसान की खबर अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, जिला प्रशासन और अन्य टीमें युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। मैं वरिष्ठ अधिकारियों के लगातार संपर्क में हूं और स्थिति पर करीबी नजर रखी जा रही है। मैं ईश्वर से सभी की सुरक्षा की प्रार्थना करता हूं।"
उत्तराखंड में इस मौसम में लगातार भारी बारिश हो रही है, जिसमें हरिद्वार में गंगा सहित प्रमुख नदियां उफान पर हैं। सोमवार को बारिश से संबंधित घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गई और रुद्रप्रयाग जिले में पहाड़ी से गिरे पत्थरों और मलबे में दो दुकानें दब गईं।
इससे पहले रविवार को उधम सिंह नगर जिले में लेवड़ा नदी और उससे निकलने वाली धाराओं का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसी स्थिति बन गई, जिससे रामपुर-नैनीताल मुख्य सड़क, चकरपुर, लखनपुर, मुरिया पिस्तौर और बरहैनी गांवों में रहने वाले परिवार प्रभावित हुए।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने आज पहाड़ी राज्य में अत्यधिक भारी बारिश के लिए 'रेड' अलर्ट जारी किया है। साथ ही, पूरे सप्ताह भारी बारिश के लिए 'यलो' अलर्ट जारी किया गया है।

उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं

उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं प्राकृतिक और इंसानी हस्तक्षेप से ज्यादा बढ़ रही हैं। भौगोलिक नजरिए से उत्तराखंड की संकरी घाटियां और ऊंचे पहाड़ नमी वाले बादलों को रोकते हैं, जिससे गर्म और ठंडी हवाओं के मिलने पर बादल फटने की स्थिति बनती है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक स्थान पर ठहर जाते हैं, तो पानी की बूंदों का भार बढ़ने से अचानक तेज बारिश होती है, जिसे बादल फटना कहते हैं। जलवायु परिवर्तन ने इसे और बढ़ा दिया है, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण बारिश के पैटर्न में अनियमितता आई है। इसके अलावा, हिमालयी क्षेत्रों में क्षेत्रीय जलचक्र में बदलाव भी इन घटनाओं को बढ़ावा दे रहा है।

धराली को क्यों तबाह किया

उत्तरकाशी के धराली में 5 अगस्त मंगलवार को बादल फटने की घटना खीर गंगा नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि के कारण हुई, जिससे भारी मलबा और बाढ़ ने धराली बाजार को तबाह कर दिया। इस क्षेत्र की भौगोलिक संरचना, जहां संकरी घाटियां और तीव्र ढलानें हैं, बादल फटने के प्रभाव को और विनाशकारी बनाती हैं। भारी बारिश के साथ मलबा तेजी से बहकर आया, जिसने घरों, दुकानों और होटलों को नष्ट कर दिया। मौसम विभाग की चेतावनियों के बावजूद, ऐसी घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी और रोकथाम अभी भी चुनौतीपूर्ण है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं, लेकिन भौगोलिक संवेदनशीलता के कारण नुकसान का स्तर गंभीर रहा।
इंसानी गतिविधियां भी इन समस्याओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। जंगलों की कटाई, अंधाधुंध निर्माण, और पर्यटन स्थलों पर बढ़ता यातायात पर्यावरणीय असंतुलन पैदा करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि पेड़ों का कटाव और कंक्रीट निर्माण से धरातल का तापमान बढ़ता है, जिससे हवा में धूल के कण और प्रदूषण बढ़ता है, जो बादल फटने की घटनाओं को बढ़ावा देता है। 
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इसके अलावा, अवैध निर्माण और जंगलों में आग जैसी गतिविधियां जलवायु परिवर्तन को और गंभीर बनाती हैं। उत्तराखंड में विकास के नाम पर प्रकृति के साथ छेड़छाड़, जैसे सड़क और बांध निर्माण, भूस्खलन और मलबे के प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे बादल फटने का प्रभाव और विनाशकारी हो जाता है।