loader

उत्तरकाशी सुरंग ऑपरेशन में 'बड़ी सफलता' जल्दः धामी

उत्तरकाशी में ध्वस्त सिल्क्यारा-बरकोट सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों की मदद के लिए बचाव अभियान मंगलवार को भी जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंगलवार को मौके पर पहुंचे और बड़ी कामयाबी जल्द मिलने की बात कही। धामी के बयान से लग रहा है कि मजदूरों को जल्द ही सुरंग से निकाल लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि लगभग 52 मीटर की ड्रिलिंग की गई है और उम्मीद है कि 57 मीटर के आसपास सफलता मिलेगी। माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर ने पहले कहा था कि अब तक तीन मीटर मैनुअल ड्रिलिंग की जा चुकी है और कुल मिलाकर लगभग 50 मीटर ड्रिलिंग का काम पूरा हो चुका है।

धामी ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा- "लगभग 52 मीटर काम हो चुका है (पाइप डाला गया है)। उम्मीद है कि 57 मीटर के आसपास सफलता मिलेगी। मेरे सामने एक मीटर पाइप डाला गया था, अगर दो मीटर और डाला जाए तो यह लगभग 54 मीटर हो जाएगा। उसके बाद, एक और पाइप का इस्तेमाल किया जाएगा...ड्रिलिंग के दौरान पहले स्टील गार्डर मिल रहे थे, इसमें अब कमी आई है। अभी, हमें कंक्रीट अधिक मिल रही है, इसे कटर से काटा जा रहा है।''
ताजा ख़बरें
इसके साथ ही, सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग मंगलवार की सुबह तक आवश्यक 86 मीटर में से 42 मीटर की गहराई तक पहुंच गई है। बचावकर्ताओं को उम्मीद है कि गुरुवार तक यह एक मीटर चौड़ी शाफ्ट नीचे सुरंग के अंदर पहुंचकर श्रमिकों को बाहर निकालने में सक्षम होगी। लेकिन यह सिर्फ अनुमान है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों की देखरेख में मैन्युअल ड्रिलिंग में 12 रैट-होल खनन विशेषज्ञ लगे हुए हैं। इन लोगों ने चार धाम मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के ढह गए हिस्से के मलबे के अंतिम 10 या 12-मीटर हिस्से के जरिए मैन्युअल खुदाई कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, मैन्युल खुदाई करने वाले 51.5 मीटर तक पहुंचने में कामयाब हो गए हैं।
हालांकि रैट-होल खनन एक विवादास्पद और खतरनाक प्रक्रिया है। जिसमें हाथ से खुदाई करने वाले छोटे समूहों में अंदर जाते हैं। यही ड्रिलिंग पहले ऑगर मशीन द्वारा की जा रही थी जो 24 नवंबर को मलबे में फंस गई थी। जिसे अब निकालना पड़ा और विशेषज्ञों को अन्य उपायों पर विचार करना पड़ा।
मलबे के माध्यम से चौड़ाई में खुदाई वाले विकल्प के लिए, अधिकारियों ने निर्णय लिया कि अंतिम खंड को मैन्युअल माध्यम से नियंत्रित किया जाएगा। जिसमें कर्मचारी लोहे के गार्डर जैसी बाधाओं से निपटने के लिए ड्रिल के साथ-साथ गैस-कटर के साथ अंदर जाकर उन्हें काटेंगे। इसी तरीके से सोमवार शाम को एक स्टील पाइप को आंशिक रूप से अंदर डाला गया।
उत्तराखंड सरकार के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल के अनुसार, साइट पर लाए गए लोग खुदाई वाले लोग नहीं थे, बल्कि तकनीकी विशेषज्ञ लोग थे। ये लोग अलग-अलग टीमों में कुछ समय के लिए बिछाए गए स्टील पाइप के अंदर चले जाएंगे। इस प्रक्रिया के बारे में रैट होल ड्रिलिंग विशेषज्ञ ने बताया कि एक आदमी ड्रिलिंग करेगा, दूसरा अपने हाथों से मलबा इकट्ठा करेगा और तीसरा उसे बाहर निकालने के लिए ट्रॉली पर रखेगा।
इसके साथ ही, सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग, जो रविवार को शुरू हुई, आवश्यक 86 मीटर में से 42 मीटर की गहराई तक पहुंच गई है। पास से ड्रिल किया जा रहा एक और आठ इंच चौड़ा शाफ्ट लगभग 75 मीटर नीचे तक पहुंच गया है। बचावकर्मियों के अनुसार, उन्हें उम्मीद है कि गुरुवार तक श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने ऑपरेशन का जायजा लेने के लिए सोमवार को सिल्क्यारा का दौरा किया था। मिश्रा ने फंसे हुए श्रमिकों से बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें निकालने के लिए कई एजेंसियां ​​काम कर रही हैं और उन्हें धैर्य रखना चाहिए। अभी तक मुख्यमंत्री से लेकर पीएमओ के जितने भी अधिकारियों ने श्रमिकों से बात की है, हर किसी ने पीएम नरेंद्र मोदी का हवाला दिया है और बताया है कि वो बहुत चिंतित हैं और हर समय मजदूरों के बारे में पूछते रहते हैं।
उत्तराखंड से और खबरें
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने कहा कि मौसम विभाग ने हालांकि उत्तरकाशी में हल्की बारिश का संकेत दिया है। लेकिन बारिश की वजह से काम बाधित होने की कोई संभावना नहीं है। सभी श्रमिकों को दाना-पानी पहुंचाया जा रहा है। चिन्ता की कोई बात नहीं है। पाइप के जरिए एक माइक अंदर पहुंचाया गया है ताकि श्रमिकों को बाहर के लोगों से बात करने में मदद मिल सके। बचाव अभियान स्थल पर तैनात डॉक्टरों की टीम फंसे हुए श्रमिकों से दिन में दो बार बात करती है - सुबह 9 बजे से 11 बजे तक और शाम 5 बजे से 8 बजे तक। इसी तरह परिवार के सदस्य भी अंदर बात करते हैं।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तराखंड से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें