पीटीआई को राष्ट्र विरोधी करार देने और धमकाने के पीछे सरकार का क्या मक़सद है? क्या वह उसे सरकार के घोषित-अघोषित एजेंडे के हिसाब से चलाना चाहती है और अगर ऐसा है तो उसकी योजना क्या है? कहीं वह पीटीआई को ख़त्म करने का मन तो नहीं बना रही पेश है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण।