जलियाँवाला बाग को नये तरह से सजाया संवारा गया । शहीदों का अपमान है या इतिहास की नासमझी ? आशुतोष के साथ चर्चा में इरफ़ान हबीब, विरेंद्र यादव और सतनाम सिंह मानक !
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।