मीडिया में उथल पुथल मची हुई है । तमाम नौकरियाँ चली गई हैं और तमाम उसी रास्ते पर हैं । कई जगह वेतन कटौती हो चुकी है । कोरोना प्रलय बन कर आया है । रेवेन्यू के नदारद होते ही कुछ राष्ट्रवादी पत्रकार रातोंरात धर्मनिरपेक्ष हो गये तो कई मध्यमार्गी राष्ट्रवादी । तमाम मज़दूर की भाषा बोलते मिले और तमाम चीखते स्वर गूँगे हो गये । अमर उजाला के संपादक मंडल के नक्षत्र शरद गुप्ता से इस पर सवाल पूछ रहे हैं शीतल पी सिंह