उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता किस मक़सद से?
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता किस मक़सद से लागू करने की बात की जा रही है? क्या कोई राज्य अपने दम पर ऐसा कर सकता है? अगर ये कानून लागू हो जाता है तो हिंदुओं को उससे क्या हासिल होगा? क्या इससे उन्हें कोई नुक़सान भी हो सकता है?