दिल्ली में हार के बाद, अरविंद केजरीवाल सार्वजनिक नजरों से पूरी तरह गायब हो गए हैं। उनकी चुप्पी ने अटकलों की एक लहर पैदा कर दी है — वह इतने शांत क्यों हैं? क्या वह अभी भी हार को समझने की कोशिश कर रहे हैं, या वह चुपके से अपनी अगली राजनीतिक चाल पर काम कर रहे हैं?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।




















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