1945 में बने संयुक्त राष्ट्र चार्टर में यह घोषणा की गई कि "सभी के लिए, बिना किसी भेदभाव के—चाहे वह नस्ल, लिंग, भाषा या धर्म के आधार पर हो—मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं के प्रति सार्वभौमिक सम्मान और इसका अनुपालन" सुनिश्चित किया जाएगा। इसी चार्टर के तीसरे अध्याय के अनुच्छेद-8 में अलग से लैंगिक समानता पर बात की गई। इसमें लिखा गया कि “संयुक्त राष्ट्र अपने मुख्य और सहायक अंगों में पुरुषों और महिलाओं को किसी भी भूमिका में और समान परिस्थितियों में भाग लेने की पात्रता पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाएगा।”