दिल्ली उच्च न्यायालय के दखल देने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने भाषाविद् प्रोफ़ेसर आयशा किदवई को ‘सबातिकल’ देना क़बूल किया है।पहले विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें यह कहकर ‘सबातिकल’ देने से मना कर दिया था कि उसकी कार्य परिषद ने एक ‘सबातिकल’ लेने के 7 साल गुजर जाने के बाद ही दूसरे की इजाज़त की गुंजाइश का फ़ैसला किया था।उसका कहना था कि चूँकि उनके पिछले ‘सबातिकल’ के बाद 7 साल नहीं गुजरे हैं, वे दूसरा ‘सबातिकल’ नहीं ले सकतीं। लेकिन ख़ुद जे ने यू के ‘आर्डिनेंस’ में दो ‘सबातिकल’ के बीच की अवधि 5 साल की ही है,7 साल की नहीं।
जेएनयू को योजनाबद्ध ढंग से कुछ इस तरह ध्वस्त किया जा रहा
- वक़्त-बेवक़्त
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- 29 Mar, 2025

जेएनयू को संगठित तरीके से बर्बाद किया जा रहा है। वहां की अंदरुनी कहानियां बाहर नहीं आ पाती हैं। वहां के टीचर घुटघुट कर तनावपूर्ण माहौल में जी रहे हैं। जाने-माने स्तंभकार अपूर्वानंद बता रहे हैं जेएनयू की ताजातरीन दास्तान। जरूर पढ़ियेः