दिल्ली पुलिस के अधिकारी मनोज कुमार तोमर रैडिकल हैं या नहीं? उन्हें रैडिकल किसने बनाया? क्या उन्हें निलंबित करने के साथ इसकी जाँच चल रही है कि आख़िर तोमर साहब इस कदर मुसलमान द्वेषी कैसे हो गए कि दोज़ानू नमाज़ियों को ठोकर मारने में उन्हें ज़रा भी हिचक नहीं हुई? या यह विचार का विषय ही नहीं है? या यह पूछने पर कहा जाएगा कि यह तिल को ताड़ बना देना है?
मनोज तोमर अपवाद नहीं है!
- वक़्त-बेवक़्त
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- 29 Mar, 2025

दिल्ली के इंद्रलोक में नमाजियों को ठोकर मारने की घटना हो या ट्रेन में तीन मुस्लिमों की पुलिसकर्मी द्वारा हत्या हो, क्या कानून के रखवालों में कुछ लोगों के रेडिकल हो जाने का यह संकेत है। अगर यह संकेत सही है तो फिर पूरे समाज के लिए खतरा है। आदिवासी के सिर पर पेशाब करने वाले और मनोज तोमर में कोई फर्क नहीं है। भारत में एक सड़े हुए समाज का निर्माण किया जा रहा है। प्रसिद्ध चिंतक और विचारक अपूर्वानंद कह रहे हैं कि इन घटनाओं को अपवाद न समझा जाए, पढ़िएः