मुंबई में भाषा के नाम पर हिंसा का नया दौर चल रहा है। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सदस्य दुकानदारों, ऑटो रिक्शावालों , निजी सुरक्षा कर्मियों को मराठी न बोल पाने पर पीट रहे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और दूसरे मंत्री खुलकर, स्पष्ट शब्दों में इस हिंसा के ख़िलाफ़ बोलने से बच रहे हैं। वे हिंसा को ग़लत ठहरा रहे हैं लेकिन इस स्पष्टीकरण के साथ कि महाराष्ट्र में रहनेवालों को मराठी तो बोलनी पड़ेगी। एक मंत्री ने यहाँ तक कहा कि मराठी बोलने से इनकार करने पर क़ानून कार्रवाई की जाएगी। लोगों ने ठीक ही पूछा है कि वह कौन सा क़ानून है जो मराठी न बोल पाने के लिए दंड का प्रावधान करता है।
मराठी भाषा के नाम पर हिंसाः जनतांत्रिक राजनीति को कमजोर करेगी
- वक़्त-बेवक़्त
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- 7 Jul, 2025

गैर मराठी भाषी लोगों के खिलाफ मुंबई में हिंसा को किस तरह उचित ठहराया जा सकता है। लेकिन बहुसंख्यकों की हिंसा के प्रति मौन समर्थन या नरमी की तुलना इस हिंसा से क्यों नहीं होना चाहिए। दोनों ही हिंसा जनतांत्रिक राजनीति के खिलाफ है। स्तंभकार अपूर्वानंद का विचारोत्तेजक लेखः