अगले कुछ महीनों में ही पश्चिम बंगाल में चुनाव होने हैं और इसको लेकर एक के बाद एक ओपिनियन पोल के सर्वे आने लगे हैं। ताज़ा सर्वे सी वोटर टाइम्स नाउ का है। क्या कहता है सर्वे, किसकी बनेगी सरकार और कौन बनेगा मुख्यमंत्री? जो यह सर्वे किया गया है वह कितना सही है? इस ओपिनियप पोल में मतदाता से यह सवाल क्यों नहीं कि 'आप किसको वोट देंगे?'
सी-वोटर ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के लोगों का मूड भाँपने के लिए उनसे कुछ सवाल पूछे जैसे वर्तमान राज्य सरकार का काम कैसा चल रहा है, आपके लिए चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है, आप किस व्यक्ति का राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं आदि-आदि। लेकिन उसने वह सवाल नहीं पूछा जिसका जवाब जानने के लिए हर व्यक्ति बेताब है - कि आप अगले चुनाव में किसको वोट देंगे।
आइए, पहले जानते हैं कि सी-वोटर ने इस पोल में क्या-क्या पूछा और क्या-क्या जवाब मिला।
सवाल नंबर 1. आप वर्तमान सरकार के काम को कैसा आँकते हैं?
46% ने सरकार के काम को अच्छा बताया जबकि 32% ने काम को ख़राब बताया (देखें चित्र 1)।
सवाल नंबर 2. आप मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काम को कैसा आँकते हैं?
क़रीब 50% ने ममता बनर्जी के काम को अच्छा बताया जबकि 31% ने उनके काम को ख़राब बताया (देखें चित्र 2)।
सवाल नंबर 3. बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर आपकी पहली पसंद क्या है?
54% लोगों ने ममता बनर्जी को अपनी पहली पसंद बताया। बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष को 23% लोगों ने अपनी पहली पसंद बताया (देखें चित्र 3)।
पश्चिम बंगाल के 8,666 लोगों द्वारा दिए गए इन जवाबों को अगर व्यापक जन-समुदाय का मत माना जाए तो यह कहा जा सकता है कि बंगाल की आधी जनता राज्य सरकार और उसके मुख्यमंत्री के काम से संतुष्ट है। अगर किसी राज्य की आधी जनता किसी सरकार और उसकी मुखिया से संतुष्ट है तो स्पष्ट है कि वह चुनावों में उसी पार्टी के पक्ष में वोट देगी। अगर ऐसा हुआ तो नतीजा क्या होगा? तृणमूल के पक्ष में 200 से भी ज़्यादा सीटें।
लेकिन सी-वोटर ने इन लोगों से यह नहीं पूछा कि आप किसको वोट देंगे हालाँकि यह बात बड़ी अजीब लगती है कि चुनाव के समय कोई भी पोलिंग एजेंसी अपने सवालों से इस मुख्य सवाल को गोल कर दे।
इसके बदले उसने एक और सवाल दिखाया और उसी को हर जगह चलाया। सवाल यह था कि आपको क्या लगता है कि इन चुनावों में कौन सी पार्टी आगे चलती दिखाई दे रही है।
सी-वोटर के हिसाब से 41% ने कहा कि उनके अनुसार बीजेपी आगे चलती दिख रही है। 36% ने कहा कि उनके हिसाब से टीएमसी आगे चलती दिख रही है।
आप ही सोचिए, इस सवाल की क्या कोई अहमियत है! क्या कोई ज़रूरत है! अगर यह सवाल राज्य के बाहर के लोगों से पूछा जाता तो उसका कोई मतलब हो भी सकता है कि बाक़ी राज्यों में कैसी धारणा है। लेकिन जब आप राज्य के लोगों से ही पूछ रहे हैं तो सीधे पूछिए कि आप किसको वोट देंगे और उसके हिसाब से अपनी भविष्यवाणी कीजिए।
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राज्य के लोगों से उनकी चॉइस न पूछकर उनकी धारणा पूछना उतना ही हास्यास्पद है जितना किसी डॉक्टर का एक रोगी से यह पूछना कि तुम्हें क्या लग रहा है, तुम्हें बुख़ार है या नहीं है जबकि डॉक्टर अपने थर्मामीटर से ख़ुद ही जाँच सकता है कि उसे बुख़ार है या नहीं। अगर डॉक्टर रोगी के मुँह में थर्मामीटरनहीं लगाता या थर्मामीटर की रीडिंग को सार्वजनिक न करके रोगी की धारणा को सार्वजनिक करता है तो आप समझ सकते हैं कि डॉक्टर की मंशा में कोई गड़बड़ी है। वह कुछ छुपाना चाहता है।
यह आख़िरी सवाल जो बिल्कुल निरर्थक है, उसको आधार बनाकर जनसत्ता जैसे अख़बार यह ख़बर चला रहे हैं कि बंगाल में 41% लोग बीजेपी को चाहते हैं (देखें चित्र)। उसी के आधार पर सोशल मीडिया पर यह भ्रामक प्रचार किया जा रहा है कि सी-वोटर के पोल में बीजेपी 170 सीटें जीतती दिख रही है।
सी-वोटर के पोल में एक सवाल यह भी था कि इन चुनावों में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है और किस बात का चुनाव सबसे ज़्यादा प्रभाव होगा?
सबसे प्रभावकारी फ़ैक्टर के तौर पर सर्वाधिक वोट (35%) पड़े दुआरे सरकार कार्यक्रम पर जिसके तहत सारे सरकारी कामों के लिए इलाक़ों-इलाक़ों में विशेष शिविर लगाए जा रहे हैं।
बीजेपी सरकार जिस भ्रष्टाचार को अपना मुख्य मुद्दा बना रही है, उसे केवल 10% लोगों ने मुख्य मुद्दा बताया। इससे भी आप समझ सकते हैं कि आम वोटर का रुझान किस तरफ़ है।
आपको बता दें कि इसी सी-वोटर ने पिछले महीने एबीपी न्यूज़ के लिए ओपिनियन पोल किया था और उसमें 43.5% लोगों ने टीएमसी के प्रति रुझान दिखाया था। उसके आधार पर सी-वोटर ने टीएमसी को 160 सीटें दी थीं जो कि बहुमत से कहीं ज़्यादा है। इस पोल में भी 46% से ज़्यादा लोगों ने सरकार के कामकाज को अच्छा बताया है और 54% लोग ममता को दुबारा मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि टीएमसी की बढ़त बनी हुई है।