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बीजेपी उम्मीदवार पूर्व HC जज अभिजीत गंगोपाध्याय पर FIR क्यों?

कलकत्ता उच्च न्यायालाय के पूर्व जज और लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। इनके साथ ही भारतीय युवा मोर्चा नेता प्रशांत दास पर भी केस किया गया है। यह मुक़दमा स्कूल के बर्खास्त कर्मचारियों पर हमला करने के आरोप में किया गया है। इनका आरोप है कि बीजेपी समर्थकों ने उन्हें पीटा। ये केस उन्होंने दर्ज कराया है जिन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अपनी नौकरी गँवा दी है और इनका आरोप है कि प्रदर्शन करने पर पीटा गया।

यह घटना शनिवार को हुई जब भाजपा नेता अभिजीत गंगोपाध्याय ने पार्टी सहयोगी सुवेंदु अधिकारी के साथ तमलुक लोकसभा सीट के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले एक रैली निकाली। रैली के दौरान कुछ भाजपा समर्थकों ने कथित तौर पर अपनी नौकरी गँवा चुके प्राथमिक शिक्षकों के विरोध स्थल पर हमला किया। पूर्व शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया कि उनमें से कुछ को भाजपा समर्थकों ने पीटा था।

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नौकरी से हाथ धोने वाले कुछ शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों द्वारा अभिजीत गंगोपाध्याय और प्रशांत दास के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत तमलुक पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इसके अलावा शस्त्र अधिनियम की धारा 25 और 27 के साथ-साथ छेड़छाड़ और अन्य धाराएँ भी लगाई गई हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल तृणमूल प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष मैदुल इस्लाम ने कहा, 'उनके विरोध में बेरोजगार शिक्षक 29 अप्रैल से सुवेंदु अधिकारी के गृहनगर और उस केंद्र में भूख हड़ताल पर हैं जहां से अभिजीत गंगोपाध्याय चुनाव लड़ेंगे। इस आंदोलन में राज्य के विभिन्न हिस्सों से बेरोजगार लोग शामिल हुए हैं। शनिवार को अभिजीत गंगोपाध्याय के जुलूस से हम पर सुनियोजित हमला किया गया। हमले के दौरान मैं भी वहां था।'

हालाँकि, गंगोपाध्याय ने आरोपों को खारिज किया हे। उन्होंने कहा, 'यह एक झूठा मामला है। हमें चिंता नहीं है। जिन लोगों ने मामला दायर किया उनके खिलाफ पहले से ही कई मामले हैं।'
अब मुक़दमे का सामना कर रहे गंगोपाध्याय पहले कोलकाता हाई कोर्ट के जज थे। उन्होंने मार्च महीने की शुरुआत में ही अदालत से इस्तीफा दे दिया था और वह बीजेपी में शामिल हो गए थे। वह काफी सुर्खियों में रहे थे।

बीजेपी में शामिल होने से पहले ही जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा था, 'मैंने भी बीजेपी से संपर्क किया और बीजेपी ने भी मुझसे संपर्क किया।' उनके इस बयान पर भी विवाद हुआ था कि क्या जज रहते हुए वह किसी राजनीतिक दल के संपर्क में रह सकते थे। 

गंगोपाध्याय पिछले साल अप्रैल में एक साक्षात्कार के बाद सुर्खियों में आए थे। तब उन्होंने रिश्वतखोरी के एक मामले पर चर्चा की थी। उस दौरान वह उस मामले पर सुनवाई कर रहे थे।

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उन्होंने 2022 में केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई को पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया था। टीएमसी नेता उनके फ़ैसले पर सवाल उठाते रहे हैं। 

जब गंगोपाध्याय ने जज पद से इस्तीफ़े की घोषणा की थी तो इस पर टीएमसी के प्रवक्ता देबांगशु भट्टाचार्य ने कहा था, 'हम लंबे समय से कह रहे हैं कि वह एक राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता हैं। हमें सही साबित करने के लिए हम आज उन्हें धन्यवाद देते हैं।'

वैसे, वह बीजेपी में शामिल होने के बाद भी गोडसे व गांधी को लेकर बयान के लिए सुर्खियों में रहे थे। एक इंटरव्यू में जब उनसे गांधी और गोडसे में से किसी एक का चयन करने को कहा गया तो वह तुरंत चयन नहीं कर पाए। उन्होंने इस सवाल पर कहा था कि 'मैं इसका उत्तर अभी नहीं दूंगा। मुझे इस पर विचार करने की जरूरत है।' उनके ऐसा कहने के बाद उनकी जमकर आलोचना हुई थी। 

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क़मर वहीद नक़वी
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