कोलकाता ने मंगलवार 4 नवंबर को SIR के खिलाफ महा मिच्छिल देखा। महा मिच्छिल नाम ममता ने ही दिया था। जिसका अर्थ है बड़ा विरोध प्रदर्शन ममता और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी आगे-आगे चल रही थे और पीछे हज़ारों की भीड़ थी। ममता के हाथों में भारतीय संविधान था। नेता विपक्ष राहुल गांधी के बाद ममता बनर्जी दूसरी ऐसी नेता हैं, जिनके हाथों में संविधान इस रूप में दिखाई दिया। टीएमसी को इस मार्च में भीड़ जुटाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ी। कोलकाता के आम लोग इसमें शामिल थे। टीएमसी के मामूली कार्यकर्ता से लेकर ममता के मंत्री, विधायक, ओहदेदार सब साथ-साथ चल रहे थे। 
महा मिच्छिल मार्च करीब 3.8 किलोमीटर लंबा था जो रेड रोड पर डॉ. भीमराव आंबेडकर की मूर्ति से शुरू हुआ और रवींद्रनाथ टैगोर के पुश्तैनी घर जोरासांको ठाकुरबाड़ी की ओर बढ़ा, जहां इसका समापन एक रैली से हुआ। मार्च के रास्ते पर सड़कों पर टीएमसी कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ी हुई थी। लोग पार्टी के झंडे लहरा रहे थे, नारे लगा रहे थे और एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ पोस्टर उठा रखे थे।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमेशा की तरह सफेद कॉटन साड़ी और चप्पल पहनकर सबसे आगे चल रही थीं और  बीच-बीच में रुककर बालकनी से झांकते या सड़क किनारे खड़े लोगों का अभिवादन भी कर रही थीं। ममता के पीछे उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी चल रहे थे, जो भीड़ की ओर हाथ हिला रहे थे। उनके साथ राज्य के कई वरिष्ठ मंत्री और पार्टी के नेता भी मौजूद थे।
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ममता बनर्जी ने SIR प्रक्रिया को 'साइलेंट इनविजिबल रिगिंग' (Silent Invisible Rigging) करार दिया है और आरोप लगाया है कि यह 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले मतदाताओं की सूची में धांधली करने की एक साजिश है।
ममता ने रैली में कहा, "आप पिछले 24 सालों से किस वोटर लिस्ट से जीतते आए हैं? बीजेपी सरकार, अगर ये लिस्ट झूठी है, तो आपकी सरकार भी झूठी है, आपका पद भी झूठ है... हर साल उन्हें कुछ न कुछ करना ही पड़ता है। एक बार वो आए और नोटबंदी की... मैं पहली थी जिसने इसका विरोध किया। आज हमें बताइए, क्या आप काला धन वापस लाए? किसका काला धन वापस आया?..."
एसआईआर के खिलाफ सड़कों से लेकर अदालत तक में लड़ाई जारी रहेगी।
कोलकाता में एसआईआर विरोधी महामिच्छिल
ममता ने संविधान हाथ में लेकर मार्च किया
भाजपा पर तीखा हमला करते हुए बनर्जी ने कहा, "असंगठित क्षेत्र के कई मज़दूर सोच रहे हैं कि क्या उनके नाम हटा दिए जाएँगे। बांग्ला में बात करने का मतलब बांग्लादेशी नहीं होता, ठीक वैसे ही जैसे हिंदी या पंजाबी में बात करने का मतलब पाकिस्तानी नहीं होता। जो भी बांग्ला में बात करता है उसे बांग्लादेशी करार दे दिया जाता है। ये बेवकूफ़ जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई नहीं लड़ी... उस समय भाजपा कहाँ थी? इसीलिए उन्हें पता नहीं कि आज़ादी से पहले भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान एक ही ज़मीन के हिस्से थे।"
उन्होंने आगे कहा, "बीजेपी एक लुटेरी पार्टी है। उन्होंने कई एजेंसियों का इस्तेमाल किया है, फर्जी खबरें और गलत सूचनाएं फैलाई हैं। लेकिन ये लोग अब भविष्य में सत्ता में नहीं रहेंगे।"

बीजेपी ने एसआईआर के समर्थन में रैली निकाली 

उत्तर 24 परगना जिले में पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने एसआईआर के समर्थन में पानीहाटी में रैली की। अधिकारी ने इस मार्च को “जमात की रैली” बताया और कहा कि यह “भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ” है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने भी कहा, “अगर ममता जी को कोई शिकायत है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। पश्चिम बंगाल में इस वक्त पूरी तरह अराजकता है और कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है।” भट्टाचार्य ने आगे आरोप लगाया कि राज्य की आबादी में जानबूझकर बदलाव किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी रोहिंग्या लोगों को राज्य में बुला रही हैं... क्या जनता चाहती है कि रोहिंग्या वोटर लिस्ट में जुड़ें?”

दरअसल यह विरोध प्रदर्शन ऐसे वक्त में हुआ जब 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है, में SIR का दूसरा चरण शुरू हुआ है। आपको बता दें कि SIR एक तरह की गहन जांच प्रक्रिया है, जिसमें बूथ स्तर के अधिकारी मतदाता सूची की घर-घर जाकर पुष्टि करते हैं। इसका मकसद फर्जी, मृत, बाहर चले गए या अवैध वोटरों के नाम हटाना होता है। इस तरह की आखिरी प्रक्रिया करीब 20 साल पहले हुई थी।
हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल चुनिंदा इलाकों में उन समुदायों के नाम काटने के लिए किया जा रहा है, जो पारंपरिक रूप से उनके समर्थन में वोट देते हैं। बिहार में SIR के पहले चरण के दौरान इसी वजह से बड़ा विवाद हुआ था, क्योंकि अंतिम सूची में करीब 68 लाख नाम हटा दिए गए थे। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां अदालत ने कुछ संशोधनों के साथ इस प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दी।