कोलकाता के लॉ कॉलेज में हुए कथित गैंगरेप ने तृणमूल कांग्रेस को हिलाकर रख दिया है। वरिष्ठ नेताओं कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा के विवादास्पद बयानों ने पीड़िता को दोषी ठहराने की कोशिश की, जिससे पार्टी में आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई। क्या यह संकट टीएमसी की छवि और 2026 के चुनावी समीकरण बिगाड़ देगा?
पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस में आंतरिक कलह उस समय खुलकर सामने आ गई, जब दक्षिण कोलकाता लॉ कॉलेज में एक 24 वर्षीय छात्रा के साथ कथित गैंगरेप की घटना पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के विवादास्पद बयानों ने तूल पकड़ लिया। इस घटना पर न केवल जनता के बीच आक्रोश है, बल्कि पार्टी के भीतर भी गहरे मतभेद उभरे हैं। इससे टीएमसी की छवि को गंभीर नुक़सान पहुँचा है।
टीएमसी नेताओं के विवादास्पद बयान
इस मामले में टीएमसी के दो वरिष्ठ नेताओं सांसद कल्याण बनर्जी और विधायक मदन मित्रा के बयानों ने विवाद को और हवा दी। कल्याण बनर्जी ने 27 जून को मीडिया से बातचीत में कहा, 'अगर एक दोस्त अपने दोस्त का रेप करता है, तो सरकार ऐसी स्थिति में सुरक्षा कैसे दे सकती है? क्या हर कॉलेज में पुलिस तैनात की जाएगी?' उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को 'ऐसे गंदे मानसिकता वाले लोगों' से सावधान रहना चाहिए।
इसी बीच 28 जून को मदन मित्रा ने और भी विवादास्पद बयान दे दिया। उन्होंने कहा, 'यह घटना सभी लड़कियों के लिए एक संदेश है कि अगर कोई आपको कॉलेज बंद होने के दिन बुलाता है और कहता है कि वह यूनिट प्रोजेक्ट में मदद करेगा, तो न जाएँ। अगर वह लड़की वहां नहीं जाती, तो यह घटना नहीं होती।'
पश्चिम बंगाल से और ख़बरें
इन बयानों की ख़ूब आलोचना हुई, क्योंकि इन्हें पीड़िता को दोषी ठहराने वाला और असंवेदनशील माना गया। विपक्षी दल बीजेपी ने इन बयानों को टीएमसी की 'बलात्कार समर्थक' और 'महिला विरोधी' मानसिकता का सबूत बताया। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने टीएमसी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी पीड़िता का चरित्र हनन कर रही है ताकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के करीबी सहयोगी को बचाया जा सके।
टीएमसी में आंतरिक टकराव
टीएमसी ने तुरंत अपने नेताओं के इन बयानों से खुद को अलग कर लिया और 28 जून को एक बयान जारी कर कहा, 'कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा के बयान उनके निजी विचार हैं। पार्टी इनसे पूरी तरह असहमत है और इनकी कड़ी निंदा करती है। हमारा महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस का रुख है।' इसके बाद 29 जून को टीएमसी ने मदन मित्रा को उनके असंवेदनशील और अनावश्यक बयानों के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया। कल्याण बनर्जी को भी पार्टी ने फटकार लगाई।
कल्याण बनर्जी ने पार्टी के इस रुख का विरोध किया और उल्टा सवाल उठाया कि क्या टीएमसी उन नेताओं का समर्थन कर रही है जो अपराधियों को बचा रहे हैं।
उन्होंने पार्टी की दूसरी सांसद महुआ मोइत्रा पर भी व्यक्तिगत हमला बोला, जिन्होंने इन बयानों को घृणित और महिला विरोधी क़रार दिया था। बनर्जी ने महुआ पर '2011 के बाद पार्टी में शामिल होने वाली अवसरवादी' होने का आरोप लगाया और उनकी हाल की शादी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिसमें उन्हें परिवार तोड़ने वाली कहा। महुआ मोइत्रा ने जवाब में कहा, 'महिला विरोधी सोच सभी पार्टियों में मौजूद है, लेकिन टीएमसी की खासियत यह है कि वह ऐसे घृणित बयानों की निंदा करती है, चाहे वह कोई भी दे।'
विपक्ष और जनता का आक्रोश
यह विवाद दक्षिण कोलकाता लॉ कॉलेज में 25 जून को प्रथम वर्ष की एक छात्रा के साथ कथित तौर पर गैंगरेप की घटना से जुड़ा है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि तीन लोगों- मनोजीत मिश्रा, प्रमीत मुखर्जी और जैब अहमद- ने उसे कॉलेज के गार्ड रूम में ले जाकर बलात्कार किया, घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे लीक करने की धमकी दी। पीड़िता ने बताया कि उसे तीन घंटे से अधिक समय तक बंधक बनाकर रखा गया और विरोध करने पर उसे हॉकी स्टिक से मारा गया। कोलकाता पुलिस ने 24 घंटे के भीतर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों में मनोजीत मिश्रा टीएमसी की छात्र शाखा तृणमूल छत्र परिषद का पूर्व पदाधिकारी और कॉलेज में अस्थायी कर्मचारी के रूप में कार्यरत एक वकील है।
इस घटना ने पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर पिछले साल अगस्त 2024 में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक डॉक्टर के रेप और हत्या की घटना के बाद। बीजेपी, कांग्रेस और सीपीआई (एम) सहित विपक्षी दलों ने कोलकाता में विरोध प्रदर्शन किए। बीजेपी ने आरोप लगाया कि टीएमसी के छात्र संगठन से जुड़े लोग इस तरह के अपराधों में शामिल हैं, और पार्टी उन्हें संरक्षण दे रही है।
राष्ट्रीय महिला आयोग यानी एनसीडब्ल्यू ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और समयबद्ध जांच की मांग की। कोलकाता पुलिस ने एक विशेष जांच दल यानी एसआईटी गठित किया है, और तीनों आरोपी 1 जुलाई तक पुलिस हिरासत में हैं।
टीएमसी की छवि पर असर
यह घटना और नेताओं के बयानों ने टीएमसी को मुश्किल में डाल दिया है, खासकर तब जब अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी पहले ही आरजी कर मामले को लेकर आलोचना झेल चुकी है और अब यह नया विवाद उसकी छवि को और नुक़सान पहुँचा सकता है।
कोलकाता लॉ कॉलेज रेप केस ने न केवल टीएमसी के भीतर की दरार को सामने ला दिया है, बल्कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं की सुरक्षा और राजनीतिक नेताओं की संवेदनशीलता पर भी सवाल उठाए हैं। कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा के बीच सार्वजनिक विवाद, मदन मित्रा के बयान और पार्टी की ओर से तुरंत की गई कार्रवाई ने यह साफ़ कर दिया है कि टीएमसी इस मुद्दे को लेकर गंभीर दबाव में है। यह देखना बाक़ी है कि पार्टी इस संकट से कैसे उबरती है और क्या यह अगले साल के चुनावों में उसकी संभावनाओं को प्रभावित करेगा।